रोम 9 मार्च 2012 (सीएनए) संयुक्त राष्ट्र संघ की शरणार्थी एजेंसी में वाटिकन के उच्च
पदस्थ अधिकारी ने रोम में आयोजित कांफ्रेस को सम्बोधित करते हुए कहा कि चुनौतियों को
बावजूद प्रवसन से अंततः सबको लाभ ही होता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के शरणार्थियों संबंधी
उच्चायोग में परमधर्मपीठीय (होली सी) के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष सिल्वानो एम
तोमासी ने वाटिकन के लिए अमरीका के दूतावास द्वारा रोम स्थित पोंटफिकल नोर्थ अमरीकन कालेज
में “Building Bridges of Opportunity: Migration and Diversity” शीर्षक से आयोजित
कांफ्रेस को 8 मार्च को सम्बोधित करते हुए कहा कि दीर्घकाल में प्रवसन ने सिद्ध किया
है कि प्रवसन से जुड़े दोनों देशों अर्थात प्रवासियों की मातृभूमि और आश्रयदाता देश तथा
सबको अधिकाँशतः प्रवासियों को लाभ ही होता है। उन्होंने इसकी व्याख्या करते हुए
कहा कि प्रवसन की प्रक्रिया शुरू में चुनौती लाती है जिसमें भाषा ,आदतों और संस्कृतियों
संबंधी कठिनाईयां, तनाव तथा टकराव होता है लेकिन यदि आश्रयदाता समुदाय प्रवसन के इस पहले
चरण को पार कर जाता है तो वे देख सकते हैं कि कैसे प्रवासी नये आश्रयदाता देश में अच्छे
नागरिक बन जाते हैं तथा न केवल अपने श्रम और काम से लेकिन अपने दिमाग और सृजनात्मकता
से समाज को अधिक समृद्ध और रूचिकर समाज बनाते हैं। महाधर्माध्यक्ष तोमासी ने कहा
कि परदेशियों का स्वागत करने की हमारी ईसाई परम्परा और आश्रयदाता देश के जनहित को ध्यान
में रखने की जरूरत के मध्य संतुलन बना कर रखा जाये। हम लोगों को ले सकते हैं लेकिन उस
देश के श्रमिकों के हित को भी नुकसान नहीं पहुँचा सकते हैं जहाँ लोग पहुँचने का प्रयास
कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि प्रवसन सबके लिए अच्छा
है लेकिन हमें स्वयं को शिक्षित करने की जरूरत है ताकि प्रभाव के आरम्भिक बर्षों की कठिनाईयों
पर विजय पा सकें।