बुधवारीय-आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा का संदेश 7 मार्च, 2012
वाटिकन सिटी, 7 मार्च, 2012(सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा
बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित हज़ारों
तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में
कहा - मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, प्रार्थना विषय पर धर्मशिक्षा का समापन करते हुए
आज हम ईश्वर के साथ हमारे संबंध और मौन की महत्ता पर चिन्तन करें। येसु मसीह के प्रार्थनामय
जीवन में विशेष करके क्रूस पर उनके आध्यात्मिक अनुभव में हम ‘शब्द’ और ‘मौन’ दोनों के
अनुपम मेल को देखते हैं। येसु का क्रूस पर प्राणघाती मौन, अपने पिता ईश्वर के लिये अंतिम
शब्द और सर्वोत्तम प्रार्थना थी। ईश्वर के दिव्य शब्दों को सुनने के लिये बाह्य और
आंतिरक मौन की ज़रूरत होती है ताकि ईश्वर की आवाज़ हमारे मन-दिल में गूँजे और हमें जीवन
दे। येसु आज हमें इस बात की शिक्षा देते हैं कि हम दुःख के समय में विश्वास में सुदृढ़
रहें और उनकी प्रतिज्ञाओं पर पूरा भरोसा रखें। येसु हमारे लिये प्रार्थना के सबसे
महान् गुरु हैं। वे चाहते हैं कि हम सभी पिता ईश्वर की उसकी प्रिय संतान की तरह पूर्ण
विश्वास के साथ बातें करें जैसा कि उन्होंने हमें सिखाया है। येसु की प्रार्थना से हम
यह भी सीखते हैं कि हम ईश्वर प्रदत्त कृपाओं को अपने जीवन में पहचानें और उसकी इच्छा
को सदा पूर्ण करें ताकि इससे हमें सही दिशा मिले और हमारा जीवन अर्थपूर्ण हो सके।
इतना
कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया। उन्होंने अमेरिका के ‘कोस्ट गार्ड अकाडमी’,
‘कैथोलिक यूनिवर्सिटी ऑफ अमेरिका’, ‘सेंट मेरीस सेमिनरी’, ‘फ्रांसिस्कन यूनिवर्सिटी ऑफ
स्टेबेनविल’, ‘काँग्रेस ऑफ इंटरनैशनल सोसायटी ऑफ प्लास्टिक रिजेनेरेटिव सर्जरी’ के सदस्यों,
इंगलैंड, डेनमार्क के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सभी सदस्यों
पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।