जिनिवाः अनेक देशों में अभी भी धार्मिक स्वतंत्रता कुण्ठित, वाटिकन पर्यवेक्षक ने दी
चेतावनी
जिनिवा, 06 मार्च सन् 2012 (सेदोक): वाटिकन के एक वरिष्ठ धर्माधिकारी ने चेतावनी दी है
कि विश्व के अनेक देशों में अभिव्यक्ति तथा अन्तःकरण और धर्म पालन की स्वतंत्रता का घोर
उल्लंघन हो रहा है।
संयुक्त राष्ट्र संघ तथा जिनिवा स्थित अन्य अन्तरराष्ट्रीय
संगठनों में वाटिकन और परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष सिलवानो थॉमासी
ने संयुक्त राष्ट्र संघीय मानवाधिकार समिति की उच्च स्तरीय बैठक के 19 वें सत्र में विश्व
प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए उक्त चेतावनी दी।
उन्होंने कहा कि परमधर्मपीठ
इस दिशा में संयुक्त राष्ट्र संघीय मानवाधिकार समिति के प्रयासों की सराहना करती है किन्तु
इस बात की ओर ध्यान भी आकर्षित कराती है कि अभी भी कई देशों में लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता
कुण्ठित की जा रही है तथा अभिव्यक्ति एवं विश्वास के कारण उनपर अत्याचार किया जा रहा
है।
उन्होंने कहा कि हालांकि कुछेक देशों में अभिव्यक्ति एवं धार्मिक स्वतंत्रता
को सिद्धान्तवश स्वीकार किया जाता है तथापि दैनिक जीवन में इन सिद्धान्तों को लागू नहीं
किया जाता है। उन्होंने कहा कि आँकड़े दर्शाते हैं कि कई देशों में धार्मिक स्वतंत्रता
का घोर उल्लंघन जारी है। उन्होंने कहा, "ख्रीस्तीय केवल अत्याचारों और उत्पीड़न का शिकार
ही नहीं बनाये जाते बल्कि सन् 2003 से सन् 2010 के बीच अफ्रीका, मध्य पूर्व एवं एशिया
के कई क्षेत्रों में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध किये गये आतंकवादी हमलों में 30 प्रतिशत
की वृद्धि हुई है।" इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा, "अनुमानतः विश्व की 70 प्रतिशत जनता
उन देशों में जीवन यापन करती है जहाँ धार्मिक स्वतंत्रता पर तरह तरह के प्रतिबन्ध लगे
हैं तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों को लगातार उत्पीड़ित किया जाता है। आम तौर पर विश्व के
दो अरब दो करोड़ लोग धार्मिक स्वतंत्रता पर लगे प्रतिबन्धों से पीड़ित हैं।"
महाधर्माध्यक्ष
थॉमासी ने कहा कि इन आँकड़ों के मद्देनज़र यह आवश्यक है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय लोगों
को उनके धर्मपालन एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करने हेतु ठोस उपाय करे।