2012-03-03 14:47:13

संत पापा का आध्यात्मिक साधना समाप्त


वाटिकन सिटी, 3 मार्च, 2012 (ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने3 मार्च शनिवार को अपना वार्षिक आध्यात्मिक साधना समाप्त किया।

वाटिकन सूत्रों ने आध्यात्मिक साधना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि उपदेशक कार्डिनल लौरेन्ट मोनसेन्गवा ने संत पापा और रोमन कूरिया के सदस्यों को ‘ख्रीस्तीयों का ईश्वर में एक होने’ विषय पर चर्चा करते हुए ईश्वर - एक ज्योति, सत्य, दया और मार्गदर्शक जैसी बातों पर प्रवचन दिये।

उन्होंने ‘क्रूस का चिह्न’ के बारे में बोलते हुए कहा, "यह मात्र एक आदत से बढ़कर है। यह एक ऐसा चिह्न है, जिसमे प्रेमभरा बलिदान निहित है, यह पुनरुत्थान के लिये मृत्यु है। इसलिये इसका प्रयोग करने वाला सांसारिकता, मान-सम्मान, धन और अधिकार का त्याग करता और अपने सब कार्यों को येसु को अर्पित करता है।"

कार्डिनल लौरेन्ट ने ईश्वर – सत्य, मार्ग और जीवन विषय पर चर्चा करते हुए आध्यात्मिक साधना में भाग ले रहे सदस्यों को आमंत्रित किया कि वे "मानव शोषण और दमन के प्रति तटस्थ न बने रहें।"

उन्होंने कहा, "हालांकि पाप का रहस्य हमारी समझ के परे है फिर भी लोगों के रक्षक बने रहें।"

उन्होंने कहा, "हमे चाहिये कि हम ज्योति में चलें। दूसरे शब्दों में हम पाप का त्याग करें और सत्य को अपने जीवन में स्थान दें ताकि हम सहज ही ईश्वर की ओर लौट सकें।

उपदेशक कार्डिनल लौरेंट ने पुरोहितों से कहा, "हमारी उदारता हमें पापों से मुक्त नहीं करती। हमें चाहिये कि हम दूरदर्शी बने और अनावश्यक रूप से खुद को प्रलोभनों में न पड़ने दें। साथ में याद रखें कि हर परिस्थिति में ईश्वर हमारे साथ है। हम ईश्वर को तब तिरस्कृत करते हैं जब हम उनकी दया पर विश्वास नहीं करते।"

कार्डिनल ने कहा, "सत्य में चलने का अर्थ है धन्यताओं के अनुसार जीवन बिताना जिसका अर्थ है ढोंगीपूर्ण जीवन का त्याग करना।"

"कलीसिया को चाहिये कि वह आंतरिक और बाहरी मिथ्या और धोखेबाज़ी पर विजय प्राप्त करे ताकि लोग सुसमाचार के सत्य को जानें और उसके अनुसार जी सकें।"


















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