देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया
गया संदेश
वाटिकन सिटी 27 फरवरी 2012 (सेदोक, एशिया न्यूज) संत पापा बेनेडिरक्ट 16 वें ने रविवार
26 फरवरी को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों
और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व सम्बोधित किया। उन्होंने
इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
चालीसाकाल
के पहले रविवार में हम पाते हैं कि येसु यदर्न नदी में योहन बपतिस्ता के हाथों से बपतिस्मा
पाने के बाद मरूभूमि में प्रलोभनों या परीक्षा का सामना करते हैं। संत मारकुस द्वारा
वर्णित वृत्तांत सटीक तथा बिना किसी विस्तृत विवरण के है न कि संत मत्ती और संत लूकस
रचित अन्य दो सुसमाचारों की तरह। मरूभूमि के विभिन्न अर्थ हैं। यह परित्यक्त और अकेलेपन
की अवस्था को दिखा सकता है, मनुष्य की कमजोरी का वह स्थान जहाँ कोई समर्थन और निश्चितता
नहीं जहाँ प्रलोभन बहुत मजबूत हो जाता है लेकिन मरूभूमि का दूसरा अर्थ भी है जो शरण और
आश्रय पाने का स्थान है, जैसा कि यह इस्राएली जनता के लिए था जो मिस्र की दासता से बच
निकली थी, यहाँ ईश्वर की उपस्थिति को विशेष रूप से महसूस कर सकते हैं। प्रभु येसु मरूभूमि
में 40 दिन रहे और शैतान ने उनकी परीक्षा ली. संत लेओ महान कहते हैं कि प्रभु येसु ने
स्वेच्छापूर्वक प्रलोभन देनेवाले के हमलों का सामना किया ताकि अपनी सहायता से वे हमारी
रक्षा कर सकें और अपने उदाहरण द्वारा हमें सिखा सकें। यह प्रसंग हमें क्या सिखा सकता
है ? जैसा कि हम इमिटेंशन ओफ क्राइस्ट अर्थात ख्रीस्तानुकरण नामक पुस्तक में पढ़ते हैं
– मनुष्य जब तक जीवन जीता है वह कदापि प्रलोभनों से पूरी तरह स्वतंत्र नहीं है लेकिन
धैर्य और सच्ची विनम्रता के द्वारा किसी भी शत्रु के सामने मजबूत बन जाता है। हमारे जीवन
को ईश्वर के बिना बनाने की कोशिश या कि मानो वे हैं ही नहीं इसके बदले धैर्य और दीनता
के द्वारा प्रतिदिन प्रभु का अनुसरण करते हुए हम सीखते हैं कि हम अपने जीवन को ईश्वर
में और ईश्वर के साथ बनायें क्योंकि वे ही सच्चे जीवन को स्रोत हैं। ईश्वर को हटा देने
तथा दुनिया में केवल स्वयं को प्रस्तुत करने एवं अपनी क्षमताओं और दक्षताओं पर भरोसा
करने का प्रलोभन मानव इतिहास में हमेशा रहा है। समय पूरा हो चुका है, ईश्वर का राज्य
निकट है। प्रभु येसु उदघोषणा करते हैं कि उन्में कुछ नया घट रहा है। ईश्वर मनुष्य को
अप्रतायाशित तरीके से कहते हैं अनूठे और ठोस निकटता में हैं, प्रेम से पूर्ण ईश्वर देह
धारण करते हैं और मनुष्य की दुनिया में प्रवेश करते हैं ताकि उसके पाप को अपने ऊपर उठा
लें, बुराई पर विजय प्राप्त करें तथा ईश्वर की दुनिया में मानव को वापस लायें। लेकिन
इस उदघोषणा के साथ ही इस प्रकार के महान उपहार के लिए आग्रह जुड़ा हुआ है। वस्तुतः येसु
कहते हैं पश्चाताप करो और सुसमाचार में विश्वास करो, यह ईश्वर में विश्वास करने, हमारे
दैनिक जीवन को उनकी इच्छा के अनुरूप बनाने, हमारे सब कामों और विचारों को भलाई की ओर
निर्देशित करने का निमंत्रण है। चालीसाकाल दैनिक प्रार्थना, पश्चाताप के कृत्यों तथा
भ्रातृत्वमय उदारता के द्वारा ईश्वर के साथ हमारे संबंध को नवीकृत करने और मजबूत बनाने
का समय है। हम गहराई से धन्य कुँवारी माता मरिया की सहायता की याचना करते हैं ताकि
वे चालीसाकाल में हमारे साथ रहें तथा हर प्रकार की सहायता दें ताकि हमारे दिलों और जीवन
में ईशवचन अंकित हो और हम उनकी ओर मन फिराव कर सकें। इसके साथ ही मैं, मेरे और रोमी कार्यालय
में कार्यरत मेरे सहयोगियों के लिए इस संध्या आरम्भ हो रहे आध्यात्मिक साधना के लिए आपकी
प्रार्थना का आग्रह करता हूँ। इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना
का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।