नई दिल्लीः बच्चों के विरुद्ध यौन दुराचारियों के बाधियाकरण प्रस्ताव से मचा बवाल
नई दिल्ली, 21 फरवरी सन् 2012 (ऊका समाचार): नई दिल्ली की एक अदालत की न्यायाधीश ने शुक्रवार
को यौन दुराचारियों के लिये बाधियाकरण को उपयुक्त सज़ा बताकर देश में वाद विवाद को उत्पन्न
कर दिया है।
एक व्यक्ति को अपनी पोती का अपहरण एवं बलात्कार करने का दोषी पाने
के बाद अपर सत्र की न्यायमूर्ति कामिनी लाओ ने कहा, "बच्चों के विरुद्ध यौन दुराचार करनेवाले
तथा बलात्कार करनेवाले के लिये बाधियाकरण सर्वाधिक उपयुक्त सज़ा हो सकती है किन्तु इस
अदालत के हाथ बन्धे हैं क्योंकि विधान में इसका प्रावधान कोई नहीं है।"
कई
लोगों ने न्यायाधीश के वकतव्य को अत्यधिक कठोर बताते हुए इसकी आलोचना की है।
काथलिक
धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के प्रवक्ता फादर बाबू जोसफ ने कहा कि यौन दुराचारी को, निश्चित्त
रूप से, कठोर दण्ड दिया जाना चाहिये किन्तु किसी व्यक्ति को अशक्त या अपांग कर देना सही
नहीं है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की सज़ा अत्यधिक क्रूर एवं हमारे संवैधानिक सिद्धान्तों
के विरुद्ध है।
इस बीच कुछ लोगों ने न्यायाधीश के प्रस्ताव को समर्थन भी दिया
है।
बन्धुआ मज़दूर मुक्ति मोर्चा संगठन के स्वामी अग्निवेश ने इसे प्रभावशाली
समाधान बताया। उनका कहना है कि बच्चों का शील हरण करनेवाले तथा बलात्कार करनेवालों को
कड़ी सज़ा मिलनी चाहिये तथा सन्देश ज़ोरदार एवं स्पष्ट होना चाहिये। उन्होंने विधि आयोग
से भी निवेदन किया कि इस दिशा में वह उपयुक्त कदम उठाये।