वाटिकन सिटी, 20 फरवरी, 2012 (सीएनए) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने 22 नये कार्डिनलों
के साथ हज़ारों विश्वासियों को संबोधित करते हुए कहा, "काथलिक काथलिक कलीसिया का अस्तित्व
में आने का सिर्फ़ एक लक्ष्य है कि वह लोगों को येसु के पास लाये न कि बस अपने हितार्थ
कार्य करे।" संत पापा ने उक्त बात उस समय कहीं जब उन्होंने 19 फरवरी रविवार को वाटिकन
में अवस्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर में ‘सोलेमनिटी ऑफ द चेयर ऑफ सेंट पीटर’ के आदर में
आयोजित यूखरिस्तीय बलिदान में प्रवचन दिया। ईसाइयों के महाधर्मगुरु ने कहा, "चर्च
अपने कल्याण के लिये नहीं पर उसे चाहिये कि वह स्वर्गीय उपस्थिति के लिये कार्य करे जो
उसके दायरे से ऊपर का है, स्वर्गिक है।" जब कलीसिया ईश्वर को प्राप्त करने के लक्ष्य
के लिये दूसरों को बेहतर बनने में मदद देती है तब ही वास्तव में चर्च है संत पापा
ने 17वीं शताब्दी के बरनीनि कृत ताँबे से बनाये संत पीटर की कुर्सी के बारे में बोलते
हुए कहा कि यह विशाल आसन आसमान में झूलता हुआ दिखाई देता है पर सच में इसे पूरब और पश्चिम
के चार अन्य धर्माचार्यों की मदद प्राप्त है। उन्होंने कहा कि यह प्रतिमा कलीसिया
की अन्तर्दृष्टि का सार का प्रस्तुत करता है। चर्च एक खिड़की है जो लोगों को ईश्वर के
निकट लाता है। यह एक ऐसा स्थान है जहाँ ईश्वर हमारे निकट आता और हम उसकी ओर जाने को तत्पर
होते हैं।
संत पापा ने कहा कि कलीसिया का कार्य है कि वह दुनिया
को उस ज्योति को प्रदान करे जो उसे ऊपर से मिली है नहीं तो लोगों का इस दुनिया में जीना
दुभर हो जायेगा। संत पापा ने कहा कि संत पेत्रुस की कुर्सी या आसन सत्य का सिंहासन
है जिसे अंतियोख के संत इग्नासियुस ने कहा "यह प्रेम का नेतृत्व है।" सत्य के साथ
विश्वास के नेतृत्व को प्रेम से अलग नहीं किया जा सकता। प्रेम रहित विश्वास, सच्चा ख्रीस्तीय
विश्वास कदापि नहीं हो सकता। संत पापा ने कहा कि जो येसु में विश्वास करता है वह
प्रेम से क्रियाशील होता और इसका श्रोत है - यूखरिस्तीय बलिदान। संत पापा ने कहा संत
पेत्रुस का सिंहासन कलीसिया के विशेष मिशन का प्रतीक है जो उसके उत्तराधिकारियों को दिया
गया है ताकि वे रेवड़ के विश्वास और प्रेम को कायम रखें।