2012-02-17 16:13:29

शस्त्र व्यापार संधि पर संयुक्त राष्ट्र संघ में महाधर्माध्यक्ष चुल्लीकाट के विचार


न्यूयार्क 17 फरवरी 2012 (सेदोक) शस्त्र व्यापार संधि पर संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रीपरेटरी कमिटी का चतुर्थ सत्र न्यूयार्क में 13 से 17 फरवरी तक सम्पन्न हुआ। समिति को सम्बोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ में वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष फ्रांसिस ए चुल्लीकाट ने कहा कि समिति की पिछली बैठक के प्रयासों से मिले सकारात्मक परिणामों को पूरा समर्थन और सहयोग देते हैं। अन्य देशों तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ ही वाटिकन इस विचार को मानता है कि संधि का प्रमुख ध्येय न केवल पारम्परिक शस्त्रों के व्यापार पर नियंत्रण स्थापित करे लेकिन सबसे ऊपर, यह शस्त्रों के अंतरराष्ट्रीय अवैध बाजार को समाप्त करे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असरकारी निगरानी व्यव्सथा नहीं होने से अनियंत्रित और अपारदर्शी शस्त्र व्यापार कई मानवतावादी दुष्परिणामों को उत्पन्न करता है- समग्र मानव विकास में कमी आती है, अस्थिरता का खतरा तथा संघर्ष तेज हो जाता है, शांति प्रक्रिया के सामने खतरा उत्पन्न हो जाता, हिंसा की संस्कृति का प्रसार होता और अपराधीकरण को बढ़ावा मिलता है।

उन्होंने कहा जिम्मेदारीपूर्ण कृत्य जिसमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सब सदस्य शामिल हों यह जरूरी है ताकि इस प्रकार की समस्याओं का वास्तविक समाधान पाया जा सके। इस में सरकार, अंतरराष्ट्रीय संगठन, गैर सरकारी संगठन तथा निजी क्षेत्र भी शामिल हों। इस प्रकार का उत्तरदायित्वपूर्ण कृत्य पहले से अधिक जरूरी हो गया है ताकि विश्व के मानवीय और आर्थिक संसाधनों का शस्त्र के रूप में न्यूनतम विचलन कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति और सुरक्षा की स्थापना कर इन्हें बनाये रखा जा सके। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही शस्त्रों की तुलना वैश्विक या घरेलू बाजार में मात्र वस्तुओं के क्रय विक्रय या आदान प्रदान के रूप में नहीं की जा सकती है। इसलिए ऐसे विश्व की चाह जहाँ मानव मर्यादा के प्रति अधिक सम्मान तथा मानव जीवन का मूल्य हो यही शस्त्र व्यापार संधि का आधारभूत सिद्धांत बने।

महाधर्माध्यक्ष महोदय ने कहा कि इस परिप्रेक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मजबूत, प्रभावी और निष्ठावान वैधानिक साधन या कानून की जरूरत है जो पारम्परिक शस्त्रों के व्यापार पर (जिसमें शस्त्रों के उत्पादन की तकनीकियों को लाईसेंस दिये जाने और व्यापार करने पर नियंत्रण सहित) पारदर्शिता की स्थिति में सुधार लाने में सक्षम हो।








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