2012-02-15 11:57:46

श्री लंकाः तेल की बढ़ती क़ीमतों के विरुद्ध हज़ारों काथलिक मछुओं के विरोध की सरकार ने की उपेक्षा


श्री लंका, कोलोम्बो, 15 फरवरी सन् 2012 (एशिया न्यूज़): श्री लंका में तेल की बढ़ती क़ीमतों के विरुद्ध बन्दरगाहों तथा कोलोम्बो से लेकर मन्नार तथा नेगोम्बो शहरों में श्री लंका के मछुओं ने विरोध प्रदर्शन कर मार्गों को अवरुद्ध किया। बताया जाता है कि विभिन्न शहरों में हो रहे विरोध प्रदर्शनों में 50,000 से अधिक श्री लंका के मछुए शामिल हैं।

विरोध का कारण तेलों की बढ़ती क़ीमत है। 12 फरवरी से प्रभावी क़ीमतों के अनुसार डीज़ल में 37 प्रतिशत की वृद्धि हुई, मिट्टी का तेल 49.5 प्रतिशत बढ़ा तथा गैसोलीन की क़ीमत में नौ प्रतिशत की वृद्धि आई।

एशिया न्यूज़ से कुछ मछुओं ने कहा, "हमें राहत सहायता नहीं चाहिये और न ही हम किसी प्रकार की सब्सिडी की मांग कर रहे हैं, हम केवल मानवीय, वैध एवं धारणीय क़ीमतों की मांग कर रहे हैं।" उनके अनुसार यदि सरकार ने उनकी मांग को पूरा नहीं किया तो लघु उद्योग जैसे मच्छीमारी ख़त्म हो जायेगी।

14 फरवरी से विभिन्न शहरों में विरोध प्रदर्शन जारी हैं किन्तु सरकार अब तक इसकी उपेक्षा करती रही है।

श्री लंका के ख्रीस्तीय नेताओं ने सरकार से आग्रह किया है कि वह मछुओं की अपीलों पर ध्यान दे। कोलोम्बो के काथलिक महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल मेलकम रणजीत ने मछुओं का पक्ष लेते हुए मत्स्य उद्योग मंत्री सेनारत्न से बातचीत भी की है। किन्तु मंत्री ने कहा है कि सरकार सहायता देने लिये तैयार है किन्तु क़ीमतों को कम करना नामुमकिन है।

सरकार की दलील है कि कच्चे तेल की क़ीमतों में बढ़ौती के कारण डीज़ल, मिट्टी के तेल आदि के भाव बढ़े हैं।

श्री लंका टेलेविज़न और रेडियो पर मंत्री सेनारत्न ने उन काथलिक पुरोहितों एवं ग़ैरसरकारी संगठनों को भी फटकार बताई जो विरोध प्रदर्शनों को समर्थन दे रहे हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि बढ़ती क़ीमतों पर कोई समझौता नहीं हो सकता।










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