ईसाई नेता सरकारी सहायता दिलाने में विद्यार्थियों के हितों का ध्यान रखें
हैदराबाद 10 फरवरी 2012 (ऊकान) नेशनल इंटीग्रेशन कौंसिल के सदस्य जोन दयाल ने आंध्रप्रदेश
के हैदराबाद में आयोजित दो दिवसीय बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि सरकार द्वारा निर्धारित
बहुत बड़ी धनराशि का उपयोग नहीं हो रहा है क्योंकि इस पर कोई रिसर्च नहीं किया जा रहा
है कि ईसाई बच्चों की शिक्षा के लिए सरकार द्वारा कितना धन आवंटित किया जाता है। उन्होंने
कहा कि ईसाई नेताओं की उदासीनता के कारण अनेक बच्चे सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जा रही
शिक्षा संबंधी स्कीन और फंड से वंचित हो रहे हैं। उन्होंने " गुड गवरनन्स एंड काथलिक
एजुकेशनल पोलिसी " शीर्षक से आयोजित सेमिनार को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ठोस
नीति बनायी जानी है ताकि सरकार द्वारा ईसाई बच्चों की शिक्षा के लिए अगले 6 वर्षो में
निर्धारित लगभग 300 मिलियन से अधिक रूपयों का सही उपयोग हो सके। सेमिनार का आयोजन
एसोसियेशन ओफ काथलिक एजुकेशनल इंस्टीटयूसन्स इन द सर्दन स्टेट ओफ आंध्रप्रदेश के द्वारा
किया गया था। दयाल ने कहा कि मुसलमानों ने स्वयंसेवी संस्थाओं का निर्माण किया है ताकि
8 मिलियन विद्यार्थियों को सरकारी स्कीमों का पूरा लाभ मिलना सुनिश्च्ति हो सके लेकिन
ईसाईयों के मध्य इन फंडो का उपयोग करने के लिए जागरूकता की कमी है। अनेक धर्माध्यक्षों
ने अपने धर्मप्रांतों में काथलिक शिक्षा नीति के बारे में पर्याप्त रूप से व्याख्या नहीं
दिया है। सरकार विभिन्न योजनाओं के द्वारा शिक्षा को बढ़ावा देना चाहती है। एक सरकारी
अधिकारी रैमंड पीटर ने कहा कि प्रशासन में संकट होने के कारण सामान्य तौर पर केवल 20
फीसदी विद्यार्थी ही स्नातक की पढ़ाई कर सके हैं। उन्होंने शिक्षा, सरकार और वित्तीय
क्षेत्र में सुधार की जरूरत पर जोर दिया ताकि परिस्थिति में सुधार लाया जा सके।