2012-02-07 12:55:34

वाटिकन सिटीः वाटिकन ने सन्त पापा के चालीसाकालीन सन्देश की प्रकाशना की


वाटिकन सिटी, 07 फरवरी सन् 2012 (सेदोक): वाटिकन ने मंगलवार को इस वर्ष के चालीसा काल के लिये लिखे सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के सन्देश की प्रकाशना कर दी।

वाटिकन के कल्याणकारी कार्यों का समन्वय करनेवाली समिति "कोर ओनुम" के अध्यक्ष कार्डिनल रॉबर्ट सारा ने वाटिकन प्रेस कार्यालय में पत्रकारों के समक्ष चालीसाकाल के उपलक्ष्य में लिखे सन्त पापा के सन्देश की प्रस्तावना की। सन्देश का शीर्षक इब्रानियों को प्रेषित सन्त पौल के पत्र से लिया गया हैः "हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम किस प्रकार भ्रातृप्रेम तथा परोपकार के लिए एक दूसरे को प्रोत्साहित कर सकते हैं।"

काथलिक कलीसिया इस वर्ष, बुधवार, 22 फरवरी से चालीसा काल आरम्भ कर रही है।

चालीसाकालीन सन्देश में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें इस बात पर बल दिया है कि उदारता के कार्यों के साथ साथ प्रार्थना, ध्यान एवं मनन चिन्तन में समय व्यतीत करना सच्चे ख्रीस्तीनुयायी का दायित्व है। सन्त पापा ने कहा कि सन्त पौल के शब्दों का स्मरण कर हम सब को परोपकार के लिये तैयार रहना चाहिये तथा भाईचारे और प्रेम के साथ अपने भाई एवं पड़ोसी की हर हालत में सेवा के लिये तत्पर रहना चाहिये। उन्होंने कहा कि सेवा कार्यों को करते समय हमारा आचरण उपेक्षा भाव का न हो अथवा वह भौतिक सहायता तक ही सीमित न रहे बल्कि इसका लक्ष्य भाई एवं पड़ोसी की अखण्ड भलाई हो।

सन्त पापा ने कहा, "परस्पर प्रेम की महान आज्ञा इस बात की मांग करती है कि हम उन लोगों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को स्वीकार करें जो हमारी ही तरह ईश प्रतिरूप में सृजित मानव प्राणी तथा ईश्वर की सन्तान हैं।" उन्होंने कहा, "यदि हम इस दृष्टि से अन्यों को देखेंगे तो स्वाभाविक रूप से हमारे हृदयों से एकात्मता, न्याय, दया एवं करुणा के झरने फ्रस्फुटित होंगे।"

सन्त पापा ने कहा, "अन्यों की ज़रूरतों पर ध्यान देने का अर्थ है हर दृष्टि से, अर्थात् शारीरिक, नैतिक तथा आध्यात्मिक रूप से भी उनके प्रति उत्कंठित रहना। ऐसा प्रतीत होता है कि समकालीन संस्कृति ने अच्छाई और बुराई का अर्थ खो दिया है, किन्तु इसके बावजूद इस तथ्य की पुष्टि करना आवश्यक है कि भलाई का अस्तित्व है तथा हमेशा रहेगा, क्योंकि, बाईबिल के 119 वें भजन के अनुसार, ईश्वर "उदार हैं और हितकारी हैं।" सन्त पापा ने कहा, "भला वह है जो देता है, रक्षा करता है तथा जीवन, भाईचारे एवं सहभागिता को प्रोत्साहित करता है।"









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