देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया
गया संदेश
वाटिकन सिटी 6 फरवरी 2012 (सेदोक, एशिया न्यूज ) संत पापा बेनेडिरक्ट 16 वें ने रविवार
5 फरवरी को अप्रत्याशित रूप से बर्फ से आच्छादित संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में
देश विदेश से आये लगभग 10 हजार तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना
का पाठ करने से पूर्व सम्बोधित किया।
उन्होंने इताली भाषा में सम्बोधित करते
हुए कहा-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
इस रविवार का सुसमाचार पाठ येसु को
बीमारों को चंगा करते हुए प्रस्तुत करता है पहले वे सिमोन पेत्रुस की सास को, जो बुखार
से पीड़ित बिस्तर पर पड़ी थी उनका हाथ थामते हुए उन्हें चंगा किया। फिर कफरनाहूम में
उन्होंने अनेक मरीजों को चंगा किया जो शरीर, मन और आत्मा से पीड़ित थे। येसु ने अनेक
लोगों को चंगा किया तथा अपदूतों को निकाल बाहर किया।
चारों सुसमाचार लेखक सहमत
है कि उपदेश देने के अतिरिक्त येसु की मुख्य गतिविधि लोगों को उनकी बीमारी और कमजोरियों
से मुक्त करना है। बीमारी दुनिया में और मनुष्य में बुराई का चिह्न है जबकि चंगाई ईश्वर
के राज्य के निकट होने को दर्शाती है। इसी कारण से निर्णायक बुनियादी मनोवृत्ति जिसके
साथ बीमारी का सामना करना है वह ईश्वर के प्रेम में विश्वास है जो बुराई को पराजित करती
है। येसु बुराई को इसके जड़ से ही नाश करने के लिए आये तथा उनके द्वारा दी गयी चंगाई
उनकी विजय का पूर्वाभास है जो उनकी मृत्यु और पुनरूत्थान के साथ आयी। एक दिन येसु
कहते हैं- नीरोगों को नहीं बल्कि रोगियों को वैद्य की जरूरत होती है। उस अवसर पर येसु
पापियों के बारे में कह रहे थे जिन्हें बुलाने और बचाने के लिए आये। यह सच है कि बीमारी
मानवीय परिस्थिति है तथापि हम गहन रूप से अनुभव करते हैं कि हम अपने आप में पर्याप्त
नहीं हैं हमें दूसरों की जरूरत है। इस अर्थ में विरोधाभाषी तौर पर बीमारी स्वस्थ पल हो
सकती है कि दूसरों द्वारा ध्यान दिये जाने को हम अनुभव करें तथा अन्यों के प्रति ध्यान
दें तथापि यह परीक्षा है जो कठिन और दीर्घकाल है।
जब चंगाई नहीं होती है और पीड़ा
जारी रहती है हम टूटा हुआ, अकेला अनुभव कर सकते हैं तथा अवसादग्रस्त और अमानवीय होने
का अनुभव कर सकते हैं। हम बुराई के हमले के खिलाफ कैसी प्रतिक्रिया करें। निश्चित रूप
से हम सही इलाज का अनुसरण कर सकते हैं। मेडिकल रिसर्च में बहुत प्रगति हुई है तथापि ईश्वर
का वचन हमें सिखाता है निर्णायक आधारभूत मनोवृत्ति जिसके साथ बीमारी का सामना करना है
वह विश्वास है। येसु ने जिन लोगों को चंगा किया उन्हें बारम्बार कहा- तुम्हारे विश्वास
ने तुम्हें बचाया है। यहाँ तक कि मृत्यु का सामना करते समय विश्वास वह कुछ कर सकती है
जो मानवीय दृष्टिकोण से असंभव है। ईश्वर का प्रेम सच्चा जवाब है जो मौलिक रूप से बुराई
को परास्त करता है।
जैसा कि येसु ने बुराई का समाना किया प्रेम की शक्ति से जो
पिता ईश्वर से आयी इसी तरह हम भी बीमारी से होनेवाली परीक्षा पर ईश्वर के प्रेम के निकट
हमारे दिल के द्वारा जीत सकते हैं। हम सब जानते हैं कि जिन्होंने घोर पीड़ा का सामना
किया वे ऐसा कर सके क्योंकि ईश्वर ने उन्हें गहन शांति प्रदान किया। हमारे मन में आती
है हाल ही का उदाहरण धन्य कियारा बादानो, जो अपनी युवावस्था में ही असाध्य बीमारी से
पीड़ित हुई। जो लोग उनसे मिले वे प्रकाश और भरोसा पाये। तथापि, जब हम बीमार हैं हमें
मानवीय स्नेह की जरूरत है। बीमार व्यक्ति के लिए आराम ला सकें इसके लिए शब्दों से कहीं
अधिक महत्वपूर्ण है उसके पास हमारी ईमानदार समीपता।
प्रिय मित्रो, इस शनिवार 11
फरवरी को लूर्द की माता मरिया के पर्व दिवस के दिन विश्व रोगी दिवस है। हम भी जैसा कि
येसु के समय में लोग बीमारों को उनके पास आध्यात्मिक रूप से यह विश्वास करते हुए कि वे
उन्हें चाहें तो चंगा कर सकते हैं, हम भी माता मरिया की मध्यस्थता से याचना करते हैं
कि गहन पीड़ा और परित्यक्त होने की परिस्थिति में पड़े लोगों के लिए मरिया, बीमारों का
स्वास्थ्य, हमारे लिए प्रार्थना करे।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश
प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।