बेहतर भारत बनाने के लिए अवसरों की समानता उपलब्ध करायें
बंगलोर 3 फरवरी 2012 (काथलिक न्यूज) प्रोटेस्टंट समाजशास्त्री टी के ओम्मन ने बंगलोर
में सम्पन्न हो रहे भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की 30 वीं आमसभा में प्रतिभागी
काथलिक धर्माध्यक्षों को सम्बोधित करते हुए कहा कि बेहतर भारत बनाने के लिए भारतीय चर्च
की प्राथमिकता समता या समानता लानेवाली परिस्थितियों की रचना करना होनी चाहिए। उन्होंने
कहा कि समानता या समता का अर्थ भौतिक वस्तुओं के होने की समानता नहीं लेकिन अवसरों की
समानता है। प्रोफेसर ओम्मन के अनुसार सबलोगों के अवसरों की समानता उपलब्ध कराना संभव
है लेकिन भौतिक वस्तुओं के होने की समानता पाने का लक्ष्य असंभव है। दिल्ली स्थित जवाहर
लाल नेहरू विश्वविद्यालय में समाजविज्ञान के सेवानिवृत्त प्रोफेसर ओम्मन ने कहा कि दलित
और जनजातीय समूहों को दिया जानेवाला आरक्षण देश में समता या समानता के लिए परिस्थिति
की रचना करने का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि अस्मिता की रक्षा, सम्मान देना तथा सबलोगों
के लिए सुरक्षा की स्थापना करना भी बेहतर भारत बनाने के लिए चर्च का एजेंदा बने। उन्होंने
कहा कि समुदायों की विशिष्ट पहचान को प्रोत्साहन देते हुए दलित और जनाजीताय समुदायों
तथा महिलाओं की मर्यादा की रक्षा एवं स्थानीय संस्कृति, भाषा और लोगों के परिवेश की रक्षा
बेहतक भारत बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। समाज शास्त्री ओम्मन ने शहरी क्षेत्रों में
स्थित कुछ मसीही शिक्षण और चिकित्सा संस्थानों की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त किया जो
समाज के कुलीन वर्ग की ही सहायता करते हैं। उन्होंने कहा कि कलीसियाई संस्थानों की प्रकृति
समावेशी हो अर्थात वे गरीब और कमजोर तबकों के लिए भी सुविधा मुहैया करायें। भारत
के भूतपूर्व चुनाव आयुक्त नवीन चावला ने सभा को सम्बोधित करते हुए धर्माध्यक्षों से आग्रह
किया कि वे शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में अपने भले काम को जारी रखें। उन्होंने चिकित्ता
सेवा उपलब्ध कराने के मामले में ऐसे क्षेत्र का का उदाहरण दिया जहाँ सरकार विफल रही लेकिन
चर्च सफल रहा। मदर तेरेसा की प्रेरिताई से 20 वर्षों तक जुड़े रहे नवीन चावला ने कहा
वे चाहते हैं कि भारतीय काथलिक अपनी सब गतिविधियों में निर्धनों के लिए मदर तेरेसा के
प्यार, समर्पण और परवाह का साक्ष्य देते रहें।