बंगलोर 3 फरवरी 2012 (सेदोक) न्याय और शांति संबंधी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल
पीटर टर्कसन ने भारतीय कलीसिया से आग्रह किया है कि वे देश में बढ़ रही असमानता के प्रति
सचेत रहें जो देश में समाज के हाशिये में जानेवाले भाव को बढ़ाती है। भारतीय काथलिक
धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की 30 वीं आमसभा को2 फरवरी को सम्बोधित किया। बढ़ती आर्थिक असमानता
को देखते हुए उन्होंने यूएनडीपी आंकड़ों को उद्धृत करते हुए कहा कि भारत विश्व में चौथी
सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन गरीबी सूचकांक में 177 देशों में यह 126 वें स्थान पर
है। उन्होंने कहा कि कलीसिया मानवता विषय पर विशेषज्ञ है तथा इसकी संलिप्तता ईश्वरीय
राज्य का प्रचार प्रसार करना है। उन्होंने काथलिक कलीसिया की सामाजिक शिक्षा से संदर्भ
देते हुए धर्माध्यक्षों को स्मरण कराया भारत में कलीसिया के मिशन की माँग है कि वह विश्वव्यापी
कलीसिया के साथ सामुदायिकता की भावना में रहकर निर्धनता दूर करने तथा लोगों की मर्यादा
की पुर्नस्थापना करने के काम में लगी रहे। उन्होंने कहा कि ईसाई स्वयं को भाग्य के भरोसे
नही छोड़ सकते हें लेकिन वे आशावादी हैं। कार्डिनल टर्कसन ने कहा- कलीसिया उसी तरह
प्रयास करती रहे जैसा येसु ने ईश्वर के राज्य के प्रसार के लिए किया। कलीसिया केवल सामुदायिकता
में ही आगे बढ़ सकती है। कलीसिया की चाह बेहतर भारत है तब यह ईश्वर के सुसमाचार की घोषणा
के काम में लगी रहे।