जम्मु कश्मीर, 23जनवरी, 2012 (कैथन्यूज़) जम्मु-कश्मीर में शरिया अदालत ने राज्य सरकार
से कहा है कि वह ईसाई मिशनरी स्कूलों का संचालन खुद करे और उनके कार्यों पर निगरानी रखे।
उन्होंने यह भी कहा है कि तीन ईसाई पुरोहित जो कथित रूप से मुसलमानों को ख्रीस्तीय
बनने का प्रलोभन दे रहे हैं, कश्मीर छोड़ दें। शरिया अदालत के मुताबिक ईसाई प्रबंधन
अपने स्कूलों में इस्लामिक पाठ्यक्रम के लिये एक अलग क्लास उपलब्ध करायें और अन्य धर्में
के लोगों के लिये भी ऐसी ही सुविधा मुहैया करायें। अदालत ने ईसाई स्कूलों को से कहा,
"जम्मु कश्मीर मुस्लिम बहुल घाटी है जहाँ मुस्लिम विद्यार्थियों को इस्लाम के बारे में
शिक्षा दी जाये और सैयद मुहम्मद इकबाल द्वारा लिखित प्रार्थना को भी प्रातःवन्दना में
गाया जाये।" शरिया अदालत के निर्देश ऐसे समय में आये हैं जब ऑल सेन्टस चर्च के पास्टर
एम.सी. खन्ना तथा कुछ अन्य ईसाई मिशनरियों को शारिया कानून के तहत् घाटी में धर्मपरिवर्तन
के मामले दोषी माना गया है। ज्ञात हो कि पास्टर खन्ना के अलावा डच निवासी जिम बोर्स्ट,
गयुर मेस्साह और नाईब मुफ़्ती नासिर को भी देश छोड़ने का आदेश निकाल दिया है। अखिल
भारतीय ख्रीस्तीय परिषद् ने यह आशंका व्यक्त की है कि समुदाय के सदस्य इस अदालती हुक़्म
के बाद प्रतिक्रियायों का सामना कर सकते हैं।