भारत में सरकारी अभियान और दवाओं के कारण पोलियो के नये मामले नहीं
दिल्ली 13 जनवरी 2012 उकान स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि एक समय पोलियो बीमारी से
बहुत अधिक प्रभावित भारत देश ने एक प्रमुख उपलब्धि हासिल की है कि विगत वर्ष पोलियो के
एक भी मामले नहीं दर्ज किये गये। भारत में यूनिसेफ एजेंसी के पोलियो ईकाई के अध्यक्ष
लीवेन देसोमेर ने कहा कि सरकार के समन्वित अभियान के कारण यह संभव हुआ है कि पोलियो के
एक भी मामले सामने नहीं आये हैं जबकि सन 1985 में पोलियो के एक लाख पचास हजार मामले दर्ज
किये गये थे। उन्होंने कहा कि सन 2010 में पोलियो बीमारी से रोकथाम के लिए लागू किये
गये अधिक असरकारी वैक्सीन ने पोलियो उन्मूलन की दिशा में महान योगदान दिया है। सन 2010
में 42 मामले जबकि इसके पहलेवाले वर्ष में 741 मामले दर्ज किये गये थे। भारतीय काथलिक
धर्माध्यक्षीय समिति की स्वास्थ्य सेवा ईकाई कार्यालय में सचिव फादर मैथ्यू अब्राहम ने
कहा कि यह बहुत बड़ी उपलब्धि है तथा अच्छा विकास है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि इस बिन्दु
पर नरमी बरती जाये। उन्होंने कहा कि पोलियो बीमारी को समूल समाप्त करने के लिए हमें और
अधिक कठिन मेहनत करनी होगी क्योंकि यह समय के साथ पुनः उभर सकती है। फादर अब्राहम ने
कहा कि कलीसिया पोलियो के खिलाफ संघर्ष में सरकारी पहल का अंग रही है तथा यह साझीदार
बनी रहेगी। भारत के स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने एक वक्तव्य में कहा कि हम
आशा और उत्साह से भरे हैं और इसके साथ ही सजग तथा सतर्क हैं। यूनिसेफ के अनुसार बिहार
और उत्तरप्रदेश राज्य इस बीमारी के लिए सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र रहे हैं। क्रिसचियन
मेडिकल कोलेज वेल्लोर में क्लिनीकल वीरोलोजी के प्रोफेसर टी जेकब जोन ने कहा कि पोलियो
उन्मूलन का सर्टिफिकेट पाने के लिए अगले दो साल पोलियो के किसी भी मामले के बिना गुजरना
होगा। क्योंकि पोलियो के वायरस कुछ समय तक मौन रह सकते हैं इसलिए लापरवाही नहीं की जानी
चाहिए। काथलिक हेल्थ एसोसियेशन ओफ इंडिया के महानिदेशक फादर टोमी थोमस ने कहा कि
यह उपलब्धि दर्शाती है कि स्वास्थ्य संबंधी किसी भी मुद्दे का सामना सतत प्रयास और समर्पण
के द्वारा किया जा सकता है।