2012-01-06 13:11:42

प्रभु प्रकाश महापर्व के उपलक्ष्य में, देवदूत प्रार्थना से पूर्व, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश


छः जनवरी को, प्रभु प्रकाश महापर्व के अवसर पर, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने, सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्र तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। इस प्रार्थना से पूर्व उन्होंने कहाः .........................

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
आज हम प्रभु प्रकाश का महापर्व मना रहे हैं। यह एक प्राचीन पर्व है जिसका स्रोत पूर्व के ख्रीस्तीयों तक जाता है तथा जो सब लोगों के समक्ष येसु ख्रीस्त की प्रकाशना के रहस्य को रेखांकित करता है जिसका प्रतिनिधित्व यहूदियों के राजा की आराधना करने सुदूर पूर्व से पहुँचे विद्धानों ने किया (सन्त मत्ती 2,1-2)। वह "नवप्रकाश" जो ख्रीस्त जन्म की रात बेथलेहेम में चमका ता, आज विश्व में प्रतिबिम्बित होना शुरु होता है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार आकाश में उदित तारे ने तीन विद्धानों को यहूदिया तक उनकी यात्रा का रास्ता सुझाया था।

ख्रीस्तजयन्ती तथा एपीफनी का पूरा समय प्रकाश विषय पर केन्द्रित है।। यह इस तथ्य से भी सम्बन्धित है कि उत्तरी गोलार्द्ध में शीत ऋतु के अंधेरे के बाद इन दिनों शनैः शनैः प्रकाश का आना शुरु हो जाता है तथा दिन रात से लम्बे होने लगते हैं। तथापि, भौगोलिक स्थिति से परे, सब लोगों के लिये ख्रीस्त का वचन मूल्यवान है, जिन्होंने सन्त योहन रचित सुसमाचार के अनुसार, कहा है, "मैं संसार की ज्योति हूँ; जो मेरा अनुसरण करता है वह कभी भी अंधकार में नहीं चलेगा बल्कि जीवन की ज्योति प्राप्त करेगा।"

सन्त पापा ने आगे कहा, "मुक्ति के इस रहस्य की घोषणा का दायित्व कलीसिया को सौंपा गया है। सन्त पौल लिखते हैं, "वह रहस्य पिछली पीढ़ियों में मनुष्य को नहीं बताया गया था और अब आत्मा के द्वारा उसके पवित्र प्रेरितों और नबियों पर प्रकट किया गया है। वह रहस्य यह है कि सुसमाचार के द्वारा यहूदियों के साथ ग़ैर-यहूदी एक ही विरासत के अधिकारी हैं, एक ही शरीर के अंग हैं और ईसा मसीह-विषयक प्रतिज्ञा के सहभागी हैं। ईश्वर ने अपने सामर्थ्य के अधिकार से मुझे यह कृपा प्रदान की कि मैं उस सुसमाचार का सेवक बनूँ।"

सन्त पापा ने कहा, "जैरूसालेम शहर को जो निमंत्रण नबी इसायाह ने दिया था वह कलीसिया पर भी लागू होता हैः "उठ कर प्रकाशमान हो जा! क्योंकि तेरी ज्योति आ रही है और प्रभु-ईश्वर की महिमा तुझ पर उदित हो रही है। पृथ्वी पर अँधेरा छाया हुआ है और राष्ट्रों पर घोर अन्धकार, किन्तु तुझ पर प्रभु उदित हो रहा है, तेरे ऊपर उसकी महिमा प्रकट हो रही है।" इस प्रकारः अपने सब संसाधनों सहित, विश्व मानवजाति की जीवन यात्रा में उसका पथ प्रदर्शित करने में असमर्थ है। ऐसा हम अपने दिनों में भी देख रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि पश्चिमी देशों की सभ्यता ने अपनी अभिमुखता ही खो दी है तथा अन्धाधुन्ध अपने पथ पर अग्रसर हो रही है। किन्तु, कलीसिया ईश वचन के बल पर इस कोहरे के भी पार देख सकती है। कलीसिया के पास तकनीकी समाधान नहीं हैं, किन्तु वह अपनी दृष्टि लक्ष्य की ओर लगाये हुए है तथा सभी शुभचिन्तक मनुष्यों को, चाहे वे किसी भी देश अथवा संस्कृति के ही क्यों न हों सुसमाचार का प्रकाश अर्पित करती है।

विश्व के विभिन्न देशों एवं अन्तरराष्ट्रीय संगठनों में विद्यमान परमधर्मपीठीय मिशनों, प्रतिनिधियों एवं राजदूतों का भी यही मिशन है। आज प्रातः ही मैंने दो पुरोहितों का धर्माध्यक्षीय अभिषेक किया जो दो नये प्रेरितिक राजदूत बनने जा रहे हैं। इनके कार्यों को तथा सम्पूर्ण कलीसिया के सुसमाचार उदघोषणा मिशन को हम माँ मरियम के सिपुर्द करें।

इतना कहकर सन्त पापा ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।









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