2011-12-31 12:05:16

वाटिकन सिटीः "अरब वसन्त विफल नहीं हुआ है", कहना फादर समीर का


वाटिकन सिटी, 31 दिसम्बर सन् 2011 (सेदोक): सन् 2011 के समापन पर, इस्लामशास्त्री, येसु धर्मसमाजी पुरोहित फादर ख़लिल समीर ने कहा है कि अरब जगत का वसन्त विफल नहीं हुआ है।

उत्तरी अफ्रीका तथा मध्यपूर्व के देशों में इस वर्ष के प्रारम्भ से आई क्रान्ति पर वाटिकन रेडियो को दी एक भेंट वार्ता में फादर समीर ने कहा कि "अरब जगत में आया वसन्त ही इसका सकारात्मक फल है।" उन्होंने कहा कि यह तथ्य कि आज अरब देशों में लोग सरकार का विरोध कर सकते हैं यह बहुत बड़ी सफलता है।

फादर समीर ने कहा, "सिरिया जैसे देश में भी, जहाँ सरकार आम जनता पर गोली चलाते नहीं हिचक रही है, लोग साहस पूर्वक विरोध प्रदर्शनों को जारी रख रहे हैं तथा अल असद के इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि बाहर से मदद नहीं मिली होतो लिबिया का भी यही हाल होता।

फादर समीर ने कहा कि इस बात को ध्यान में रखना आवश्यक है कि लगभग पचास वर्षों तक अरब देशों ने यह नहीं जाना कि यथार्थ लोकतंत्रवाद क्या होता है, वे तानाशाहों एवं निरंकुश शासकों के अधीन रहे। उन्होंने कहा कि इसी कारण अरब देशों में आया कथित वसन्त अत्यधिक महत्वपूर्ण है तथा आशा की जाती है कि यह एक नवीकृत अरब विश्व का निर्माण कर सकेगा।

यह आशंका भी व्यक्त की गई है कि अरब देशों में उत्पन्न नई स्थिति का लाभ इस्लामी गुटों को मिलेगा। इस पर फादर समीर ने कहा कि इससे किसी को भय नहीं खाना चाहिये क्योंकि इस्लामी गुटों की प्रबलता अरब जगत के लोगों की असली स्थिति को प्रदर्शित करती है।

उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण अरब-इस्लामी जगत इस्लाम धर्म को ही सामाजिक, राजनैतिक तथा धार्मिक जीवन का आदर्श मानता है और इस विश्वास को परिवर्तित करना कठिन है। फादर समीर ने कहा कि हज़रत मुहम्मद साहब द्वारा प्रस्तावित नियमों के अनुकूल, अपने इतिहास के प्रारम्भ से ही, इस्लाम एक विश्वव्यापी योजना है, जो केवल धार्मिक जीवन को ही नहीं अपितु राजनैतिक, न्यायिक एवं सामाजिक जीवन को भी अपने आप में समाहित करती है। इसी के मद्देनज़र फादर समीर ने कहा कि इस समय, "अरब जगत के लोगों के समक्ष प्रस्तुत सबसे महान चुनौती इस्लाम तथा प्रजातंत्रवाद के महान सिद्धान्तों और मानवाधिकारों के बीच उचित सामंजस्य स्थापित करने की है।








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