2011-12-21 12:16:20

पुणेः धर्माध्यक्ष ने कहा, धर्मों का काम शान्ति को प्रोत्साहित करना


पुणे, 21 दिसम्बर सन् 2011 (कैथन्यूज़): पुणे में, सोमवार को सम्पन्न, एक अन्तरधार्मिक सभा में इस बात पर बल दिया गया कि सभी धर्मों द्वारा शान्ति और मैत्री को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिये।

सभा के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए, पुणे के धर्माध्यक्ष तथा रोम स्थित परमधर्मपीठीय अन्तरधार्मिक समिति के सदस्य धर्माध्यक्ष थॉमस डाबरे ने कहा, "शान्ति और मैत्री प्रत्येक धर्म का प्राण है।" उन्होंने कहा कि सभी धर्मों को भ्रष्टाचार एवं निधर्नता समाप्त करने तथा मानव मर्यादा की प्रतिष्ठापना के लिये काम करना चाहिये।"

पुणे के ईश वाणी केन्द्र में आयोजित उक्त अन्तरधार्मिक सभा का विषय थाः "धर्म और शान्ति"। इसमें विभिन्न धर्मों के लगभग 100 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

धर्माध्यक्ष डाबरे ने कहा कि क्रिसमस एवं नववर्ष की तैयारी में संलग्न सभी लोगों को शान्ति हेतु प्रयास करना चाहिये।

सभा में इस्लाम धर्म के नेता मुल्ला फ़िरोज़ पूनावाला ने इस बात पर बल दिया कि इस्लाम का अर्थ है शान्ति, ईश्वर के प्रति समर्पण तथा लोगों की सेवा। उन्होंने इस बात पर ख़ेद व्यक्त किया कि कुछेक व्यक्तियों की हिंसा के कारण मुसलमानों के प्रति लोगों में भ्रान्तियाँ उत्पन्न हो गई हैं तथा वे उन्हें शंका की दृष्टि से देखने लगे हैं।

इस बीच, सिक्ख नेता सुरजीत कौर चहाल ने कहा, "अन्य धर्मों के लोगों के प्रति सहिष्णुता, समझदारी तथा सम्मान से ही यथार्थ शान्ति का निर्माण हो सकता है।" उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि लोग इस बात को समझें कि सभी धर्म ईश्वर की ओर मनुष्यों का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

जैन नेता पूज्य प्रशान्त ऋषि ने कहा अहिंसा से शान्ति का लक्ष्य पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा महावीर जी की शिक्षाएँ आज भी समसामयिक हैं।

दो घण्टों तक चली उक्त सभा का समन्वयन येसु धर्मसमाज के पुरोहित एवं हिन्दु धर्म के प्राध्यापक डॉ. नोएल शेथ ने किया।








All the contents on this site are copyrighted ©.