लाहौर, 19 दिसंबर, 2011(कैथन्यूज़) पाकिस्तान के लाहौर में वृहस्पतिवार 16 दिसंबर को
करीब 3 हज़ार ख्रीस्तीयों ने जूते में ईसाई क्रूस जड़ने के विरोध में रोषपूर्ण जुलूस
निकाला।
इस विरोध यात्रा में मुस्लिम नेताओं ने भी काले बिल्ला लगाया और सरकार
विरोधी नारे भी लगाये और टायरों को जलाया।
पाकिस्तान माईनियोरिटी मूवमेंट
(पीएमएम) अल्पसंख्यक आंदोलन के पास्टर पास्टर सामुएल किंग ने लोगों को संबोधित करते हुए
कहा, " यह कोई तमाशा नहीं है क्रिसमस के पूर्व हमारी ख्रीस्तीय अस्मिता का अपमान किया
गया है।"
विरोधप्रदर्शन करने वालों ने दुकानों से 1, 200 जूतों को लूट लिया
था जिनपर क्रूस और क्रिसमस के प्रतीक चिह्न अंकित थे। जूता बेचनेवाले दुकानदार को को
26 नवम्बर को गिरफ़्तार कर लिया गया था पर तीन दिनों बाद पुलिस ने उन्हें रिहा कर दिया।
गुलज़ार नक्वी नामक एक शिया मुस्लिम ने कहा कि वे सरकार की उदासीनता की कड़ी
निन्दा करते हैं।
पीएमएम ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर माँ की है कि ख्रीस्तीय
भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाले जूता दुकानदार को फिर गिरफ़्तार किया जाये और जब तक सरकार
कोई कारवाई नहीं करती आंदोलन जारी रहेगा।
ईसाई मासिक के संपादक कनवाल फिरोज़
ने कहा, "उस व्यक्ति पर ईशनिन्दा के तहत् कारवाई हो। उन्होंने कहा, "जानबूझकर या अनजाने
में इस कृत्य से अल्पसंख्यक समुदाय की भावनाओं को गंभीर रूप से ठेस पहुँची है जो ईशनिन्दा
कानून के दायरे में आती है।"
ईसाइयों का मानना है कि व्यापारियों ने आपसी
रंजिश और व्यक्तिगत मनमुटावों के तहत् संविधान में लिखित इस्लामिक स्वधर्मत्याग और ईशनिन्दा
कानून का दुरुपयोग कर अल्पसंख्यकों को परेशान किया है।
विदित हो कि अल्पसंख्यक
मामलों के केन्द्रीय मंत्री के हत्या के बाद तो अब तो इस विवादास्पद कानून पर बहस भी
समाप्त हो गया