कोची, केरल, 17 दिसंबर, 2011 (कैथन्यूज़) केरल धर्माध्यक्षीय समिति ने 16 दिसंबर को इस
बात की घोषणा की कि काथलिक विश्वासी जब पापस्वीकार संस्कार के लिये आयें तो पर्यावरण
संबंधी पापों की भी क्षमा याचना करें। उक्त बात की जानकारी देते हुए केसीबीसी के प्रवक्ता
फादर स्टीफन अलाथरा ने बताया कि कोची में आयोजित समिति की वार्षिक सभा में समिति ने अपने
‘इकोलोजिकल मिशन स्टेटमेंट’ पारित किया है जिसमें पापस्वीकार संबंधी पापों को भी सम्मिलित
करने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा, " प्रकृति को शोषण ईश्वर के विरुद्ध
पाप है। इसके लिये जो निर्देश तैयार किये गये हैं उन्हें वर्ष 2012 के फरवरी माह के धर्मप्रांतीय
मेषपालीय पत्र सम्मिलित किया जायेगा। " उन्होंने कहा, " पर्यावरण पर जो दस्तावेज़
तैयार किये गये हैं उसका मकसद है ख्रीस्तीयों को एक ख्रीस्तीय के रूप में हरित आध्यात्मिका
के प्रति जागरुक करना। " उन्होंने यह भी बतलाया कि दस्तावेज़ प्रकृति पूजा को प्रोत्साहित
नहीं करती यह बतलाती है कि प्रकृति ईश्वर का वरदान है इसलिये हमें इसका शोषण और दुरुपयोग
निम्नतम करना चाहिये। " उधर पर्यावरण के कार्य करने वाले संगठनों ने समिति के नये
दस्तावेज़ का स्वागत किया है। उन्होंने यह भी प्रस्ताव किया है कि गिरजाघर और स्कूलों
के निर्माण में हरित वास्तुकला, सौर्य शक्ति का उपयोग हो और पलास्टिक के प्रयोग को बढ़ावा
न दें। एक हिन्दु कार्यकर्ता के कुंजीकृष्णन ने कहा, " चर्च ने लोगों के लिये एक
आदर्श प्रस्तुत किया है। और इस पहल का समुदाय में व्यापक प्रभाव होगा। एक युवा काथलिक
नेता चारली पौल ने कहा, " पर्यावरण की नयी दृष्टि नयी पीढ़ी में प्रकृति के प्रति एक
नयी सकारात्मक मनोभाव बढ़ाएगी।