वाटिकन सिटी, 12 दिसंबर, 2011(सीएनए) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने विश्व की अर्थव्यवस्था
और व्यापार के मानवीयकरण में काथलिक कॉओपेरेटिव या सहकारी आंदोलन की भूमिका की सराहना
की है। संत पापा ने कहा कि सहकारी आंदोलन का सार है ‘व्यक्तिगत और सामुदायिकता के
सामंजस्यपूर्ण व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता।‘ उन्होंने कहा कि यह एकता और आर्थिक
सहायता की एक ऐसी अभिव्यक्ति है जिसे काथलिक कलीसिया के सामाजिक सिद्धांत ने नागरिकों
और राज्यों के बीच सदा बढ़ावा दिया है। संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने
10 दिसंबर को वाटिकन प्रेरितिक प्रासाद में ‘कोन्फेडेरेशन ऑफ इटालियन कॉओपेरेटिवस’ और
‘इटालियन फेडेरेशन ऑफ कॉओपेरेटिव क्रेडिट बैंक’ के प्रतिनधियों को संबोधित किया। विदित
हो, परंपरागत तौर से कॉओपेरेटिव या सहकारी संस्थायें छोटे पैमाने की आर्थिक निकाय हैं
जिस पर सदस्यों या कर्मचारियों का सामुदायिक स्वामित्व होता है। ये सहकारी आंदोलन काथलिक
देशों में उस समय बहुत लोकप्रिय हुए जब संत पापा लेओ तेरहवें ने दुनिया को सन् 1891 ईस्वी
में ‘रेरुम नोवारुम’ (‘नयी चीज़ों का’) नामक दस्तावेज़ दिया जिसने पूँजीवाद और राज्य
समाजवाद दोनों को नकार दिया। "सहकारी या कॉओपेरेटिव जैसे संगठनों की कई लोगों ने
इसलिये सदस्यता ग्रहण की क्योंकि इसमें पुरोहितों का योगदान अहम् था जो कि सिर्फ़ आर्थिक
ज़रूरतों की पूर्ति के लिये नहीं था पर उसमें थी एकता और सहयोगपूर्ण जीवन की उत्कंठा।"
कॉओपेरेटिव सदा से ही सहयोग और व्यक्ति की आवश्यक स्वायत्तता के बीच सामंजस्य बरकरार
करता है। इस प्रकार से यह व्यक्ति, समुदाय और अर्थव्यवस्था का भी कल्याण करता है। संत
पापा ‘कारितास इन वेरिताते’ दस्तावेज़ से हवाला देते हुए कहा "सही उद्देश्य, पारदर्शिता
और सकारात्मक फल एक दूसरे के सहायक हैं, जिन्हें एक-दूसरे से कभी अलग नहीं होने देना
चाहिये।" संत पापा ने कहा, "यदि प्रेम दूरदर्शी है तो यह भविष्य और उचित अवसरवादिता
के साथ कार्य करने का प्रयास करता है जैसे कि क्रेडिट यूनियन करते रहे हैं।" कॉओपेरेटिव
इस बात के लिये सक्षम हैं कि वे इस अद्भुत बदलाव और आर्थिक असुरक्षा के समय में सुसमाचार
प्रचार करने में विशेष भूमिका निभायें। ऐसी संस्थायें "जीवन और परिवार की संस्कृति"
का प्रचार कर सकतीं हैं जिसमें सहयोग या परस्पर-निर्भरता, अर्थव्यवस्था और बाज़ार से
कभी भी अलग नहीं किया जायेगा। संत पापा ने बल देकर कहा, "कॉओपेरेटिव के सदस्य केवल
परहितमयकारी न बनें पर वे ईश्वरीय प्रेम की अभिव्यक्ति बनें।" आज ज़रूरत है अर्थव्यवस्था
और कार्यक्षेत्र में भी प्रतिभागी प्रेम और सहायता के साथ कार्य करें, ईश्वर के साथ घनिष्ठ
संबंध बनायें और यूखरिस्तीय समारोह में भाग लेकर ईशवचन से लाभान्वित हों।