2011-12-10 20:18:13

मानवाधिकार कार्यकर्ता और अन्तरराष्ट्रीय घोषणापत्र प्रेरणा बने


न्यूयॉर्क, 10 दिसंबर, 2011 (यूएन) यू एन सेक्रेटरी जेनरल बान की मून ने कहा, "मानव अधिकार बिना अपवाद के सबों के लिये हैं। पर जब तक हम इसे न जाने या जब तक इसकी माँग न करें इसका आदर नहीं किया जायेगा, और यदि हम अपने और दूसरों के अधिकारों की रक्षा न करें तो ये अधिकार वर्षों के पुराने शब्द मात्र रह जायेंगे।"
उक्त बातें यू.एन. महासचिव बान की मून ने उस समय कहीं जब उन्होंने 10 दिसंबर शनिवार को मानवाधिकार दिवस पर संदेश दिया।
उन्होंने कहा, "मानवाधिकार दिवस के दिन हम न केवल सन् 1948 ईस्वी के मानवधिकारों के अंतरराष्ट्रीय घोषणा की याद करते हैं पर इसकी स्थायी प्रासांगिता को भी स्वीकार करते हैं।"
मानवाधिकारों के महत्त्व को प्रत्येक वर्ष बल दिया जाता रहा है। पूरे विश्व में लोग को इस बात के लिये संगठित किये जाते हैं कि वे मानवाधिकारों के अंतरराष्ट्रीय घोषणापत्र में संरक्षित न्याय, मर्यादा, समानता और सहभागिता जैसे मूल्यों की सुरक्षा हो।
महासचिव ने कहा, "कई देशों में हिंसात्मक दमन के बावजूद शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के द्वारा इन मूल्यों की रक्षा की जा सकी। कई देशों में संघर्ष जारी है और कई स्थानों में इस दिशा में प्रगति हुई है और कई राष्ट्रों में जनतंत्र की शक्ति के बल पर निरंकुश शासकों का तख़्ता पलट दिया गया है।"
आज कई लोगों ने अपने वैध आकांक्षाओं की पूर्ति के लिये सोशल मीडिया के द्वारा अपनी आवाज़ बुलन्द की है। अब ऐसा नहीं है कि दमनकारी सरकार पूर्ण रूप से सूचनातंत्र को प्रभावित कर सके।
आज समय आ गया है जब सरकारों को चाहिये कि वे इंटरनेट पर कोई अंकुश न लगायें। इस माध्यम के द्वारा लोग दूसरों के अधिकारों का सम्मान करते हुए अपने विचारों की अभिव्यक्ति के लिये सोशल मीडिया में आलोचनायें करते और सार्वजनिक वाद-विवाद करते हैं।
उन्होंने कहा, "पिछले वर्ष की उपलब्धियों - विशेष करके प्रजातांत्रिक परिवर्तन होने, युद्ध-अपराधों और मानवता के विरुद्ध हो रहे अपराधों के लिये जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये नये कदम और अधिकारों के प्रति जागरुकता बढ़ने आदि से हम शक्ति ग्रहण करें।"
आज हम मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा से प्रेरणा प्राप्त करते हुए मानवता और संस्कृति की आकांक्षाओं की रक्षा करते हुए अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दें।





















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