बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा का संदेश 7 दिसंबर, 2011
वाटिकन सिटी, 7 दिसंबर, 2011 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत
पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन स्थिति संत पौल षष्टम् सभागार में देश-विदेश से एकत्रित
हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।
उन्होंने अंग्रेजी
भाषा में कहा - मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में हम ख्रीस्तीय
प्रार्थना पर चिन्तन करते हुए येसु के पास आयें जो अपनी ही प्रार्थना और उदाहरण द्वारा
हमें ख्रीस्तीय प्रार्थना के रहस्य को बतलाते हैं। सुसमाचार लेखकों- संत मत्ती और
लूकस के सुसमाचार में हम पाते हैं कि अपने "उल्लासपूर्ण याचना" में ईश्वर पिता को
धन्यवाद देते हुए येसु कहते हैं कि ईश्वर ने मुक्ति के रहस्यों को विद्वानों से छुपा
कर "निरे बच्चों" को प्रकट किया है।
इस महत्त्वपूर्ण प्रार्थना का श्रोत है प्रभु
येसु का अपने पिता और पवित्र आत्मा साथ घनिष्ठ संबंध होना। एक अनन्त पुत्र के रूप में
सिर्फ़ येसु ही अपने पिता ईश्वर को पूरी तरह से जानते थे इसलिये वे ईश्वर की इच्छा में
आनन्द मनाते हैं। जैसा कि सुसमाचार में कहा गया है,, " यह सच है कि सिर्फ़ पुत्र ही पिता
को जानता है और वे जिन्हें पुत्र ने चुनकर प्रकट किया।"
इस प्रार्थना में प्रभु
येसु अपने पिता के बारे में बताने की इच्छा उन लोगों को व्यक्त करते हैं जो नादान है
पर मन के शुद्ध और वे जो दिव्य इच्छा के प्रति खुले हैं।
संत मत्ती के सुसमाचार
के अनुसार येसु उल्लास की याचना के बाद कहते है, "बोझ से दबे हुए लोगो सब के सब मेरे
पास आओ मैं तुम्हें विश्राम दूँगा, मेरा जुआ सहज और मेरा बोझ हल्का है।
येसु
ही प्रार्थनाओं के आदर्श और श्रोत हैं। उनसे और पवित्र आत्मा की कृपा से हम ईश्वर की
ओर लौटते हैं और ईश्वर पर इस बात की आस्था रखते हैं कि ईश्वर की इच्छा पूरी करने से ही
हम मुक्ति और शांति प्राप्त करेंगे।
इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त
किया।
उन्होंने मिशनरीस ऑफ चैरिटी के सदस्यों एवं उनके परिवार वालों,अमेरिका
तथा देश-विदेश से आये तीर्थयात्रियों उपस्थित लोगों पर प्रभु की कृपा, प्रेम और शांति
की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।