महाधर्माध्यक्ष विन्सेंट मिखाएल कोनचेसाव की पुरोहिताई के 50 वर्ष
नई दिल्ली, 5 दिसंबर, 2011 (सीबीसीआई) नई दिल्ली के महाधर्माध्यक्ष विन्सेंट मिखाएल कोनचेसाव
ने 4 दिसंबर रविवार को अपने पुरोहित जीवन का 50वाँ वर्षगाँठ मनाया। उनके साथ तीन अन्य
पुरोहितों - फादर विन्सेंट डीसूजा, फादर पौल सेर्राव और फादर जो थोमस ने भी अपनी पुरोहिताई
की पचासवीं जुबिली मनायी। जुबिली यूखरिस्तीय बलिदान के बाद सार्वजनिक अभिनन्दन समारोह
में उपस्थित केन्द्रीय खाद्य और पूर्ति मंत्री के.वी. थोमस ने महाधर्माध्यक्ष कोनचेसाव
के समर्पित जीवन की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा, "महाधर्माध्यक्ष ग़रीबों के मसीहा और
अत्याचार के ख़िलाफ चल रहे अभियान के समर्पित हिमायती हैं।" उधर महाधर्माध्यक्ष ने
अपने 50 वर्षीय पुरोहित जीवन के बारे में बोलते हुए कहा, "50 साल तुरन्त बीत गये, मैंने
अपने मिशन कार्य करते हुए विश्वास की शक्ति के बारे में बहुत कुछ सीखा। ऐसे समय में जब
भी सब कुछ अँधेरा-सा लगता तब विश्वास और ईश्वरीय प्रेम ने ही मेरा उत्साह बढ़ाया। महाधर्माध्यक्ष
कोनचेसाव का जन्म मंगलोर में हुआ और सन् 1961 ईस्वी में उनका पुरोहिताभिषेक हुआ। सन्
1962 ईस्वी से उन्होंने दिल्ली और आगरा धर्मप्रांत की सेवा की और बाद में दिल्ली धर्मप्रांत
के समाज सेवा केन्द्र ‘चेतनालय’ के निदेशक बने। दिल्ली के महाधर्माध्यक्ष बनने के पूर्व
उन्होंने आगरा के विकर जेनरल, सहायक धर्माध्यक्ष और फिर महाधर्माध्यक्ष के रूप में अपनी
सेवायें दीं। उन्होंने ‘ऑल इंडिया कौंसिल ऑफ रेलिजन्स ऑफ पीस’ और ‘फाउँडेशन फॉर रेलिजियस
हारमॉनी एंड यूनिवर्सल पीस’ के भी अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवायें अर्पित की हैं। ग़ौरतलब
है महाधर्माध्यक्ष सदा से ही दलित ईसाइयों के अधिकारों के पक्षधर रहे हैं।