वाटिकन सिटी 1 दिसम्बर 2011 (वीआर वर्ल्ड) चिकित्सा प्रेरिताई संबंधी परमधर्मपीठीय समिति
ने एक अपील जारी किया है ताकि एडस बीमारी से पीडित सबलोगों को सार्वभौमिक स्तर पर जीवन
बचानेवाली दवाएँ और चिकित्सा थेरेपी उपलब्ध हों। गुरूवार को जारी वक्तव्य में यह भी आह्वान
किया गया है कि एचआईवी वायरस से प्रभावित सबलोगों को नैतिक, आध्यात्मिक और भौतिक सहायता
उपलब्ध करायी जाये तथा उनके प्रति भेदभाव को समाप्त किया जाये। सन 1988 से ही 1 दिसम्बर
को प्रतिवर्ष विश्व एडस दिवस मनाया जाता है ताकि इस बीमारी के खिलाफ विश्व स्तर पर संघर्ष
करने की जरूरत को रेखांकित किया जा सके। यद्यपि विगत दो दशको में एचआईवी वायरस के संक्रमण
से बचने तथा एडस मरीजों की देखभाल तथा समुदायों को इस बीमारी के व्यापक असर से बचाने
की दिशा में यद्यपि काफी प्रगति हुई है लेकिन फिर भी विश्व में अब भी लगभग 33 मिलियन
लोग एचआईवी वायरस से संक्रमित होकर जीवन जी रहे हैं। संदेश में कहा गया है कि एआरवी
दवाओं के कारण लाखों लोगों का जीवन बचा है लेकिन अनेक स्थान हैं जहाँ लोग बीमारी से जुड़े
कलंक, डर, निर्धनता या भेदभाव के भय से सामने नहीं आते हैं जिससे उनकी जाँच नहीं हो पाती
है तथा वे जरूरी समर्थन और चिकित्सा सेवा से वंचित रह जाते हैं। कलीसियाएं और अन्य विश्वासी
समुदाय अनेक देशों में, विशेष रूप से अलग थलग रहनेवाले समुदायों तक पहुँचकर एडस मरीजों
या एचआईवी वायरस से पीड़ित लोगों को चिकित्सा सेवा और अन्य सहायता पहुँचाने के लिए अग्रिम
पंक्ति में काम कर रहे हैं।