2011-11-30 12:30:17

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा का संदेश
30 नवम्बर, 2011


वाटिकन सिटी, 30 नवम्बर, 2011 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन स्थिति संत पौल षष्टम् सभागार में देश-विदेश से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा - मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में हम ख्रीस्तीय प्रार्थना पर चिन्तन करते हम येसु के पास आयें जो अपने ही उदाहरण द्वारा हमें ख्रीस्तीय प्रार्थना के रहस्य को बतलाते हैं।

प्रार्थना के संदर्भ में हम येसु के उस महत्त्वपूर्ण समय की याद करें जब उन्होंने बपतिस्मा ग्रहण किया था। इस समय हम येसु के दोनों रूपों को देखते हैं। एक ओर वे ईश्वरीय पुत्र हैं तो दूसरी ओर पापमय मानवता के करीब हैं जिन्हें बचाने के लिये उन्होंने दुनिया में आना स्वीकार किया।

येसु की प्रार्थना इस बात को दिखलाती है कि वे पुत्र के रूप में अपने पिता की इच्छा के प्रति पूर्ण रूप से आज्ञाकारी हैं – एक ऐसी आज्ञाकारिता जो उन्हें क्रूस की मृत्यु की ओर ले जाती है ताकि लोगों को पाप से बचा सकें।

येसु ने अपनी माता से अपने मानवीय प्रार्थना करना सीखा और यहूदी परम्पराओं की प्रार्थना से उन्होंने ईश्वर से एक होना सीखा और एक शरीरधारी पुत्र के रूप में उन्होंने इस बात को स्पष्ट रूप से समझाया कि स्वर्गिक पिता के सम्मुख एक बालक के रूप मं कैसे निवेदन करना चाहिये।

येसु का ईश्वर पर पूरी आस्था से प्रार्थना करना हमें इस बात की चुनौती देता है कि हम इस बात की जाँच करें कि अच्छी तरह से प्रार्थना करने के लिये हमने कितना समय दिया और कितना प्रयास किया।

वैसे तो प्रार्थना ईश्वरीय वरदान है; यह एक कला भी है जो लगातार प्रयास करने से सीखा जा सकता है। येसु हमें बतलाते हैं कि हमें चाहिये कि हम लगातार प्रार्थना करें, दूसरों के समक्ष समर्पण, ईश्वर के प्रति पूर्ण सह्रदयता और प्रार्थना की सुन्दरता का साक्ष्य दें।


इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने संत एजितियो समुदाय द्वारा ‘नो जस्टिस नो विदाउट लाईफ’ विषयवस्तु में आयोजित सभा के प्रतिनिधियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि उनकी आशा है कि इस प्रकार के विचार-विमर्श से निश्चिय ही मृत्युदंड को समाप्त करने के लिये राजनीतिक और कानूनी पहलों को बल प्राप्त होगा। इसके साथ ही बंदियों को मानव गरिमा दिलाने और सार्वजनिक व्यवस्था के प्रभावपूर्ण संरक्षण का कार्यों में प्रगति होगी।

उन्होंने इतना कहकर अमेरिका तथा देश-विदेश से आये तीर्थयात्रियों उपस्थित लोगों पर प्रभु की कृपा, प्रेम और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








All the contents on this site are copyrighted ©.