2011-11-28 15:38:03

धर्माध्यक्ष ईशवचन को बोलने का दायित्व अनवरत निभायें


वाटिकन सिटी, 28 नवम्बर, 2011 (सीएनए,ईडब्लयूटीएन) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने अमेरिका के धर्माध्यक्षों से कहा है कि वे ऐसे लोगों के सामने चुप न हो जायें जो सार्वजनिक जीवन में काथलिक दृष्टिकोण को सहन नहीं करते।
उक्त बातें संत पापा ने उस समय कहीं जब उन्होंने सोमवार 26 नवम्बर न्यूयॉर्क के 15 धर्माध्यक्षों को वाटिकन के प्रेरितिक प्रासाद में संबोधित किया।
उन्होंने कहा, " कलीसिया की आवाज़ को सार्वजनिक रूप से चुप कराने के प्रयास के बावजूद दुनिया में सद्भावना रखने वाले कई लोग कलीसिया से प्रज्ञा, प्रेरणा और मार्गदर्शन की अपेक्षा करते रहते हैं। "
उन्होंने कहा, "आप अपने धर्माध्यक्षीय प्रेरितिक कार्य तहत् ईशवचन को बोलने की ज़िम्मेदारी निभाते रहें और आशा का संचार करते हुए नम्र भाव से, नैतिक सत्य और उस सत्य के बारे में बोलना जारी रखें जो व्यक्ति के मन-दिल को खोलने में सक्षम है और मुक्ति प्रदान करता है।"
विदित हो यूयॉर्क के धर्माध्यक्ष अपने परंपारिक पंचवर्षीय " अद लिमिना " विजिट के लिये रोम आये हुए हैं। धर्माध्यक्षों का यह प्रतिनिधिमंडल अमेरिकी धर्माध्यक्षों का दूसरा दल है जिसमें न्युयॉर्क, अल्बनी, ब्रुकलिन, बफ्फालो, ऑग्डेन्सबर्ग, रोचेस्टर, रोकविल सेन्टर और सिराकुस के 15 धर्माध्यक्ष शामिल हैं।
संत पापा ने कहा, " नये सुसमाचार प्रचार के द्वारा कलीसिया में आध्यात्मिक और बौद्धिक नवीनीकरण लाने की ज़रूरत है। हमें चाहिये कि हम अपना ही नवीनीकरण करें क्योंकि ऐसे आन्तरिक नवीनीकरण के द्वारा ही हम लोगों की आध्यात्मिक ज़रूरतों को पूरा कर पायेंगे और सुसमाचार के अनन्त सत्य को प्राप्त कर पायेंगे।"
उन्होंने कहा कि काथलिक यूनिर्वसिटियों को सुसमाचार के प्रचार में प्रमुख भूमिका अदा करनी चाहिये।
संत पापा ने उन स्कूलों की तारीफ़ की जिन्होंने मिशन का एक नया अर्थ पाया है और काथलिक पहचान के प्रति अपना विशेष सपर्पण दिखलाया है।
उन्होंने कहा, "युवाओं को इस बात का पूरा अधिकार है कि वे कलीसिया की शिक्षा को पूर्ण रूप से प्राप्त करें और ख्रीस्तीय संदेश की शिक्षा और सम्बद्धता से प्रेरणा प्राप्त करें ताकि वे अपने मित्रों में इसी धार्मिक भावना को उँडेल सकें।"
संत पापा ने उन धर्माध्यक्षों की सराहना की जिन्होंने पुरोहितों के अनुचित वर्ताव का उचित समाधान खोज निकाला। उन्होंने कहा, " यौन दुराचार पर काबू पाने के लगातार प्रयास से पूरे समुदाय को इसके कारणों के विस्तृत रूप और इसके भयानक परिणामों के बारे उचित जानकारी प्राप्त होगी और इस पर नियंत्रण रखा जा सकेगा।"
संत पापा ने ‘नये मिसल’ के बारे में कहा, " कलीसिया के मिशन लिये यह ज़रूरी था कि वह पूजन विधि को नये तरीके से समझे।"
विदित हो कि "अद लिमिना" मुलाक़ात लैटिन वाक्यांश "अद लिमिना अपोस्तोलोरुम" अर्थात् ‘प्रेरितों की दहलीज़’ पर से लिया गया है। मध्ययुग में लोग संत पौल और संत पीटर के कब्रों की तीर्थयात्रा करते थे। अब अद लिमिना मुलाक़ात के दौरान धर्माध्यक्ष संत पापा से भेंट करते तथा दोनों प्रेरितों के कब्रों की तीर्थयात्रा करते हैं।












All the contents on this site are copyrighted ©.