बेनिन में संत पापा की प्रेरितिक यात्रा तीसरी रिपोर्ट
कोतोनू बेनिन 20 नवम्बर 2011 (एपी, सेदोक) काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष संत पापा बेनेडिक्ट
16 वें ने तीन दिवसीय बेनिन यात्रा के अंतिम दिन रविवार 20 नवम्बर को कोतोनू के स्टेडियम
में समारोही ख्रीस्तयाग की अध्यक्षता की तथा प्रेरितिक उदबोधन अफ्रीके मुनुस अर्थात अफ्रीका
का समर्पण नामक दस्तावेज को अफ्रीका महादेश के विश्वासियों को अर्पित किया जिससे समाज
के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अफ्रीका महाद्वीप में येसु के सुसमाचार का और अधिक प्रचार
प्रसार करने के लिए कलीसिया को मार्गदर्शन प्राप्त होगा।
शनिवार 19 नवम्बर को
बेनिन की आर्थिक राजधानी कोतोनू स्थित राष्ट्रपति भवन के सभागार में देश के नेताओं, कूटनीतिज्ञों
और प्रशासनिक धामिरक अधिकारियों को संबोधित करते हुए बेनिन तथा विश्व के नेताओं का आह्वान
करते हुए संत पापा ने अपील की वे लोगों को आशा से वंचित नहीं करें। अपने उत्तरदायित्व
का पालन करते हुए साहसपूर्वक नैतिक अभिगम अपनायें तथा लोगों को आशा देना जारी रखें।
अफ्रीका
को केवल समस्याओं के नजरिये से या फिर केवल इसके प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के लिए नहीं
देखा जाना चाहिए लेकिन यहाँ जीवन, परिवार और बच्चों के प्रति प्रेम तथा जो सकारात्मक
मूल्य हैं उसे भी देखना चाहिए। यहाँ ताजगी है, युवाओं में उत्साह है, दैनिक जीवन में
ईश्वर के प्रति अफ्रीकियों में जो सजगता है इनसे पूरे विश्व को भी सीखना चाहिए।
संत
पापा ने कोतोनू शहर से 45 किलोमीटर दूर स्थित ओविधा शहर के संत गाल सेमिनरी के प्रांगण
में पुरोहितों, गुरूकुल छात्रों और धर्मसमाजियों को समबोधित करते हुए कहा कि वे अफ्रीका
में परिवर्तन लाने के साधन बन सकते हैं। पुरोहितों के लिए विशेष दायित्व है कि वे शांति,
न्याय और मेलमिलाप का प्रसार करायें।
संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें अफ्रीका की अपनी
दूसरी यात्रा के दौरान बेनिन पहुँचे हैं जहाँ ईसाई धर्म अपनानेवालों की संख्या में बहुत
तेजी से बढ़ी है। पड़ोसी राष्ट्रों की अपेक्षा अनेक भिन्नताओं के बावजूद यहाँ लोकतंत्र
का अधिक विकास हुआ है तथा बेनिन वासियों के नागरिक समाज को बेहतर बनाने में ईसाई धर्म
का बहुत योगदान रहा है। यहाँ ईसाई धर्म के आगमन की 150 वीं वर्षगाँठ का समारोह भी मनाया
जा रहा है।
संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने तीन दिवसीय यात्रा के दूसरे दिन ओविधा
शहर की बासिलिका में अफ्रीका के धर्माध्यक्षों की दूसरी विशेष धर्मसभा के बाद तैयार किये
गये अफ्रीके मुनुस अर्थात अफ्रीका का समर्पण नामक शीर्षक से तैयार 67 पृष्ठीय दस्तावेज
पर हस्ताक्षर किये। इसके बाद वे कोतोनू लौट आये तथा दोपहर का भोजन ग्रहण किया। शनिवार
अपराह्नकाल में उन्होंने बेनिन की प्रेरितिक यात्रा की आयोजन समिति के सदस्यों को धन्यवाद
दिया। फिर कोटोनू स्थित परमधर्मपीठीय राजदूतावास से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित
शांति और आनन्द नामक शिशुभवन गये। यहाँ मिशनरीज ओफ चारिटी धर्मसमाज की 6 धर्मबहनें अन्य
स्वयंसेवियों सहित उन बच्चों की देखरेख करती हैं जो परित्यक्त, बीमार तथा कुपोषण के शिकार
हैं। शांति और आनन्द नामक शिशुभवन के बच्चे बच्चियों ने गीत गाकर नृत्य करते हुए संत
पापा का स्वागत किया।
इस समारोह के बाद संत पापा ने संत रीता पल्ली के गिरजाघर
में उपस्थित लगभग 800 बच्चों का साक्षात्कार कर उन्हें अपना संदेश दिया। बच्चों ने बहुत
ही उमंग और उत्सुकता से गीत गाते हुए नाचते तथा स्कार्फ लहराते हुए संत पापा का स्वागत
किया। बच्चों की ओर से एक बालिका ने संत पापा का अभिवादन किया।
बच्चों को सम्बोधित
करते हुए संत पापा ने कहा- ईश्वर हमारे पिता ने हमें अपने पुत्र और हमारे भाई येसु ख्रीस्त
के समीप जमा किया है जो ख्रीस्तयाग के समय पवित्र किये गये परमप्रसाद में विद्यमान हैं।
यह महान रहस्य है जिसपर हम विश्वास करते और उनकी आराधना करते हैं। येसु हमें बहुत प्यार
करते हैं, चर्च के पवित्र संदूक में उपस्थित हैं। मेरा आपसे कहना है कि बहुधा चर्च की
भेंट करें और येसु को आपका जो प्यार है उसे बतायें।
पहला परमप्रसाद ग्रहण करने
का दिन मेरे जीवन के सर्वाधिक सुंदर दिनों में से एक है। परमप्रसाद ग्रहण करते समय व्यक्ति
को बहुत प्रेम और ध्यान के साथ येसु को ग्रहण करना चाहिए। दूसरों को येसु के बारे में
बताना भी महत्वपूर्ण है। यह वह खजाना है जिसका उपयोग उदारतापूर्वक की जानी चाहिए। परिवार
में एक साथ प्रार्थना करें। अपने अभिभावकों को उत्साहित करें ताकि सब मिलकर एक परिवार
रूपी ईकाई बनकर प्रार्थना करें क्योंकि ईश्वर बहुत महत्वपूर्ण हैं।
मैं सुसमाचार
का उपयोग करता हूँ। मैं अपने दिल के समीप बाइबिल के उद्धरण रखता हूँ जिसने मेरे मन और
दिल को छुआ है और जो मुझे दिन भर मार्गदर्शन प्रदान करता है। रोजरी माला प्रार्थना करें
तथा संत पापा, कलीसिया और हर महत्वपूर्ण मनोरथ के लिए प्रार्थना करें।
समारोह
के अंत में हर बच्चे को एक-एक रोजरी दी गयी। बच्चों को अपना संदेश देने के बाद संत पापा
का काफिला 9 किलोमीटर की दूरी तय कर वापस परमधर्मपीठीय राजदूतावास आया। यहाँ संत पापा
ने प्रार्थनालय में 10 धर्मप्रांतों के धर्माध्यक्षों को सम्बोधित किया और अपना संदेश
सुनाया।
बेनिन यात्रा के अंतिम दिन रविवार 20 नवम्बर को संत पापा ने कोटोनू शहर
में परमधर्मपीठीय राजदूतावास से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कोटोनू के " स्टाडे दे अमिते
" स्टेडियम में आयोजित भव्य समारोही ख्रीस्तयाग की अध्यक्षता की जिसमें जिसमें लगभग
80 हजार विश्वासी शामिल हुए। 180 धर्माध्यक्षों में 40 अफ्रीकी धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों
के अध्यक्ष तथा 1500 पुरोहित उपस्थित थे। नाईजर, घाना, टोगो, बुरकीना फासो और अन्य देशों
के विश्वासी भी ख्रीस्तयाग में शामिल हुए।
काथलिक कलीसिया के पूजनधर्मविधि पंचांग
के अनुसार कलीसिया ने रविवार 20 नवम्बर को ख्रीस्त राजा का महोत्सव मनाया। ख्रीस्तयाग
के दौरान प्रवचन करते हुए संत पापा ने विगत 150 वर्षों में कलीसिया द्वारा अर्पित सेवाओं
और उपलब्धियों के लिए ईश्वर को धन्यवाद देते हुए मेलमिलाप, न्याय और शांति का प्रसार
किये जाने पर बल दिया।
ख्रीस्तयाग समारोह के अंत में धर्माध्यक्षों की धर्मसभा
के महासचिव मान्यवर निकोला एतेरेविच ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इसके बाद संत पापा ने अफ्रीकी
धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के अध्यक्षों को प्रेरितिक उदबोधन " अफ्रीकी मुनुस " अर्थात
अफ्रीका का समर्पण नामक दस्तावेज सौंपा। इस अवसर पर संत पापा ने कहा कि इस प्रेरितिक
उदबोधन को स्वीकार करते हुए इसके ईशशास्त्रीय, कलीसियाई, आध्यात्मिक और मेषपालीय पहलूओं
को स्थानीय स्तर पर लागू करने की अवस्था शुरू होती है। यह दस्तावेज पहले से आरम्भ विभिन्न
स्थानीय पहलों को प्रोत्साहन देते हुए अफ्रीका में काथलिक कलीसिया के निर्माण के लिए
अन्य पहलों को आरम्भ करने की प्रेरणा प्रदान करेगा।
कलीसिया का पहला मिशन है
कि सब लोगों के लिए येसु ख्रीस्त और उनके सुसमाचार की घोषणा करना अर्थात उन लोगों तक
सुसमाचार पहुँचाना जो कलीसिया से किसी न किसी रूप में दूर हैं। मेरी आशा है कि यह प्रेरितिक
उदबोधन अफ्रीका में येसु के सुसमाचार की की घोषणा करने के लिए आपको मार्गदर्शन प्रदान
करेगा। यह केवल संदेश या शब्द नहीं है सबसे ऊपर यह व्यक्ति के लिए खुलापन है येसु ख्रीस्त
देहधारी शब्द। वे ही अन्नत जीवन के शब्द धारण करते हैं। ख्रीस्त का अनुसरण करते हुए सब
ईसाईयों का आह्वान किया जाता है कि पिता की दया और पवित्र आत्मा के प्रकाश पर चिंतन करें।
सुसमाचार अपने साथ मेलमिलाप लाता तथा शांति और न्याय का प्रसार करता है।
यह दस्तावेज
अफ्रीका महादेश में न्याय मेलमिलाप और शांति का प्रसार करने के लिए मसीही विश्वासियों
तथा कलीसियाई कार्यक्रमों को गति और मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
अफ्रीका की प्रिय
कलीसिया आप पहले से कहीं अधिक पृथ्वी का नमक बनें- यह भूमि जिसे येसु ख्रीस्त ने अपनी
उपस्थिति से धन्य किया है। अफ्रीकी भूमि के नमक बनें, अनेक शहीदों के रक्त से धन्य हुई
है अनेक स्त्री पुरूषों और बच्चों ने मसीही विश्वास का साक्ष्य दिया है। संसार की ज्योति
बने, अफ्रीका की वह ज्योति जो उथल-पुथल के मध्य भी सब नागरिकों के लिए शांति और न्याय
का पथ खोजती है। आपकी ज्योति येसु ख्रीस्त हैं जो संसार की ज्योति हैं। ईश्वर अफ्रीका
को आशीष दें।
समारोही ख्रीस्तयाग के बाद देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया
गया और अंत में संत पापा ने सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया। मेलमिलाप, न्याय
और शांति शीर्षक से बेनिन की तीन दिवसीय यात्रा समाप्त कर संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें
20 नवम्बर की रात्रि रोम लौटे।