2011-11-14 15:10:34

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


वाटिकन सिटी रोम 14 नवम्बर 2011 (सेदोक, एशिया न्यूज) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 13 नवम्बर को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों, विश्वासियों और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने मसीही विश्वासियों को इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
पूजन धर्मविधि वर्ष के समापन से पूर्व के इस रविवार में ईश्वर का वचन हमें इस पार्थिव जीवन की नश्वरता के प्रति चेतावनी देता है तथा इसे तीर्थयात्रा के रूप में जीने के लिए आमंत्रित करता है। हम अपनी दृष्टि को अंतिम लक्ष्य की ओर केन्द्रित रखें, ईश्वर जिसने हमारी सृष्टि की और जैसा कि उन्होंने स्वयं किया। यह हमारी अंतिम नियति और हमारे जीवन का अर्थ है। उस अंतिम वास्तविकता की ओर जाने का जरूरी कदम मृत्यु है जिसके बाद अंतिम न्याय किया जायेगा। प्रेरित संत पौलुस हमें स्मरण कराते हैं कि प्रभु का दिन रात के चोर की तरह आयेगा। प्रभु येसु के महिमामय पुनरागमन के प्रति जागरूकता हमें प्रेरणा देती है कि उनके पहले आगमन की सतत याद करते हुए हम सजगता की मनोवृत्ति में जीवन यापन करें।
सुसमाचार लेखक संत मत्ती द्वारा रचित सुसमाचार में वर्णित अशर्फियों के प्रसिद्ध दृष्टान्त में येसु तीन सेवकों की कथा सुनाते हैं जिनका स्वामी विदेश जाते समय अपने सेवकों को अपनी सम्पत्ति सौंप दिया। दो सेवक अच्छे व्यवहार वाले निकले जिन्होंने स्वामी द्वारा दिये गये धन को दुगुणा किया। तीसरा सेवक, स्वामी से मिले धन को भूमि में छिपा दिया। विदेश से वापस आने पर स्वामी ने अपने सेवकों से लेखा लिया। उसने पहले दो सेवकों का स्वागत किया लेकिन तीसरे सेवक के व्यवहार और जवाब से वे निराश हुए। वह सेवक वास्तव में, जिसने अशर्फी को छिपा कर रखा, इसे नहीं बढ़ाया, उसने गलत आंकलन किया उसने ऐसा व्यवहार किया मानो उसका स्वामी वापस नहीं आयेगा और एक दिन उससे लेखा नहीं माँगेगा। इस दृष्टान्त के द्वारा प्रभु येसु अपने शिष्यों को सिखाना चाहते हैं कि वे मिले उपहार या क्षमता का बेहतर उपयोग करें। ईश्वर सब मनुष्यों को जीवन जीने के लिए आमंत्रित करते हैं। वे उन्हें क्षमताएँ और मिशन देते हैं। यह सोचना मूर्खता होगी कि ये उपहार हमें दिये ही जाने थे, इनका उपयोग करने से विफल होना हमारे अस्तित्व के लक्ष्य के प्रति लापरवाही होगी।
इस सुसमाचार पाठ पर टिप्पणी करते हुए संत ग्रेगोरी महान लिखते हैं- प्रभु प्रत्येक जन को अपनी उदारता, अपना प्रेम देते हैं। अतः यह जरूरी है मेरे भाईयो कि आप यथासंभव प्रयास करें कि इस उदारता, प्रेम को सुरक्षित रखें, हर कृत्य में इसे व्यक्त किया जाना है। सच्ची उदारता मित्रों और शत्रुओं दोनों को प्रेम करने में निहित है, यदि कोई व्यक्ति में इस सदगुण की कमी है तो वह सब कुछ खो देता है जो उसके पास है, उस क्षमता से वंचित कर दिया जाता है जिसे उसने पाया था और वह अंधकार में फेंक दिया जाता है। प्रेम मौलिक भलाई है जिसका उपयोग करने में कोई भी व्यक्ति विफल नहीं हो सकता है इसके बिना अन्य सभी उपहार व्यर्थ हो जाते हैं। यदि येसु ने हमें इतना अधिक प्रेम किया कि हमारे लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया तो हमारे पास जो कुछ है उससे और एक दूसरे को सच्चे हृदय से प्रेम करने के द्वारा हम कैसे ईश्वर को प्यार नहीं कर सकते ? केवल प्रेम के अभ्यास द्वारा ही हम हमारे प्रभु के आनन्द में भाग ले सकते हैं। कुँवारी माता मरियम, ईश्वर के साथ एक होने के पथ पर चलने के लिए हमें सक्रिय और आनन्दपूर्ण सतर्कता सिखायें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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