2011-11-12 13:32:09

शरीर की आध्यात्मविद्या पर संगोष्ठी


रोम, 12 नवम्बर, 2011 (ज़ेनित) रोम में रेजिना अपोस्तोलोरुम ने एक अंतरराष्ट्रीय विचार गोष्ठी का आयोजन किया जिसमें ईशशास्त्री एवं विशेषज्ञों ने धन्य संत पापा जोन पौल द्वितीय के ‘थियोलॉजी ऑफ बॉडी’ अर्थात् ‘शरीर की आध्यात्मविद्या’ पर चिन्तन किया

रेजिना अपोस्तोलोरुम द्वारा आयोजित बुधवार 9 नवम्बर इस चार दिवसीय सभा की विषयवस्तु है " लव स्पेलेन्डर ऑफ गिफ्ट " प्रेम- उपहार का वैभव " ।शनिवार 12 नवम्बर को यह समाप्त हो जायेगा।

इस सभा को जिन ईशशास्त्रियों एवं विशेषज्ञों ने संबोधित किया उनमें डेटरोइट मिचीगन के सेक्रेड हार्ट सेमिनरी के नीति शास्त्र के प्रोफेसर डॉ जानेट स्मिथ, पेनसिल्भानिया के थियोलॉजी ऑफ द बॉडी इंस्टीट्यूट ऑफ फिलाडेलफिया के क्रिस्टफर और फ्लोरिडा नैपल्स के यूनिवर्सिटी ऑफ आवे मरिया के ईशशास्त्र के प्रोफेसर डॉ मिखाएल वाल्डस्टिन प्रमुख थे।

सभा को संबोधित करते हुए जानेट स्मिथ ने गर्भनिरोध के विरोध बोलते हुए प्रेम और दायित्व के संबंध में अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने मानव की सृष्टि ईश्वर के प्रतिरूप होने के परिपेक्ष में मानव के यौन क्रिया अपने चिन्तन प्रस्तुत किये ।

उन्होंने धन्य पापा जोन पौल द्वारा इस संबंध में दिये गये ईशशास्त्रीय सिद्धांतों का सारांश भी प्रस्तुत किया।

स्मिथ ने कहा, "मानव यौन के संबंध में अपने प्राकृतिक गुणों को पूर्णतः समझ सकता है। यह प्रेम संबंध के लिये सृष्ट किया गया है।"

उनके अनुसार नर नारी का सबसे स्वभाविक संबंध है दो शरीरों का एक होना।
उधर क्रिस्टफर ने धन्य जोन पौल की थियोलॉजी ऑफ बॉडी को संगीत और कला के माध्यम से प्रस्तुत किया जिसका शीर्षक था " ह्रदय को भर दो- ईश्वर, सेक्स और सामान्य अभिलाषा।













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