मुम्बई, 7 नवंबर, 2011 (कैथन्यूज़,बीबीसी) लोकप्रिय संगीतकार, गायक और संस्कृतिकर्मी
राजनीति और संस्कृति से ऊपर उठकर कार्य करने की प्रेरणा देनेवाले भूपेन हज़ारिका का लंबी
बीमारी के बाद शनिवार 5 नवम्बर को निधन हो गया है। वह 86 वर्ष के थे.पूरे देश लाखों लोगों
ने उनकी मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त किया है। दादा साहेब फ़ाल्के पुरस्कार विजेता
हज़ारिका का मुंबई के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। अस्पताल के मीडिया प्रभारी
जयंत नारायण साहा ने कहा, " हज़ारिका को सांस लेने तकलीफ़ थी, उनके दोनों गुर्दे ख़राब
हो गए थे और उन्हें डाएलसिस पर रखा गया था। " मंगलवार को असम के अपने पैतृक गाँव में
उसकी अंतिम क्रिया सम्पन्न होगी। भूपेन हज़ारिका गायक और संगीतकार होने के साथ ही
एक कवि, फ़िल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार भी रहे है। उन्हें
दक्षिण एशिया के सबसे नामचीन सांस्कृतिक कर्मियों में से एक माना जाता है. अपनी मूल
भाषा आसामी के अलावा भूपेन हज़ारिका हिंदी, बंगाली समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाना
गाते रहे है। उन्हें पारंपरिक असमिया संगीत को लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है। उनहोने
फ़िल्म 'गांधी टू हिटलर' में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन 'वैश्नव जन' गाया था. उन्होंने
हज़ारों संगीत बनाये और फिल्म का निर्देशन भी किया। हज़ारिका को कई पुरस्कारों से
भी नवाज़ा गया था जिसमें पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार शामिल हैं। भूपेन
हज़ारिका ने न्यूयॉर्क के कोलोम्बिनया युनिवर्सिटी से कम्युनिकेशन में डॉक्टरेट की उपाधि
हासिल की थी। वहाँ वे अमेरिका के प्रसिद्ध गायक पौल रोबेसोन के मित्र बने जो नागरिक अधिकारों
के प्रबल समर्थक थे।