2011-10-31 09:54:15

वाटिकन सिटीः देवदूत प्रार्थना के अवसर पर दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश तथा थायलैण्ड एवं इटली में बाढ़ पीड़ितों के लिये प्रार्थना


वाटिकन सिटी, 31 अक्टूबर सन् 2011 (सेदोक): रविवार 30 अक्टूबर को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित, लगभग 40,000 तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना की तथा इटली एवं थायलैण्ड में बाढ़ के शिकार लोगों का स्मरण किया। देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिये अपने सन्देश में सन्त पापा ने कहाः

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
इस रविवार के लिये निर्धारित धर्मग्रन्थ पाठों में प्रेरितवर सन्त पौल हमें आमंत्रित करते हैं कि हम "ईश वचन को मनुष्यों के वचनों स्वरूप नहीं अपितु उसके सच्चे रूप में यानि कि ईश वचन रूप में ग्रहण करें" (प्रथम थेसलनीकियों 2,13)। इस प्रकार हम येसु द्वारा हमारे अन्तःकरणों को बताई फटकारों को विश्वास के साथ स्वीकार कर पायेंगे ताकि अपने अन्तःकरण के अनुकूल आचरण कर सकें। आज के पाठ में, वे धर्मशास्त्रियों एवं फरीसियों को फटकार बताते हैं जिन्हें समुदाय में शिक्षक की भूमिका प्राप्त थी। येसु उन्हें फटकारते हैं क्योंकि उनका आचरण उन शिक्षाओं के बिल्कुल विपरीत था जिसकी वे, कठोरता के साथ, प्रस्तावना किया करते थे। येसु इस बात को रेखांकित करते हैं कि वे जो "कहते हैं उसे करते नहीं" (मत्ती 23, 3); इसके विपरीत, जैसा कि सन्त मत्ती रचित सुसमाचार के 23 वें अध्याय के चौथे पद में हम पाते हैं, "वे बहुत से भारी बोझ बाँधकर लोगों के कन्धों पर लाद देते हैं, परन्तु स्वयं उँगली से भी उन्हें उठाना नहीं चाहते।"

सन्त पापा ने कहा, "अच्छी शिक्षा स्वीकार की जाती है किन्तु असंगत आचरण के कारण उसपर अस्वीकृति एवं नकारे जाने का ख़तरा उत्पन्न हो जाता है। इसीलिये, सन्त मत्ती रचित सुसमाचार के 23 वें अध्याय के तीसरे पद के अनुसार, येसु कहते हैं: "वे तुम लोगों से जो कुछ कहें, वह करते और मानते रहो परन्तु उनके कर्मों का अनुसरण न करो।" प्रभु येसु का व्यवहार इसके बिलकुल विपरीत हैः वे पहले अपने आप प्रेम के नियम का पालन करते हैं और बाद में उसकी शिक्षा लोगों को देते हैं इसी कारण वे यह कह सकते हैं: "मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो और मुझ से सीखो। मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूँ। इस तरह तुम अपनी आत्मा के लिए शान्ति पाओगे, क्योंकि मेरा जूआ सहज है और मेरा बोझ हल्का'' (दे. मत्ती 11, 29-30) ।
सन्त पापा ने आगे कहा, "अपने अधिकार का उपयोग अन्यों को दबाने के लिये करनेवाले धर्मशास्त्रियों का ध्यान करते हुए हमारी दृष्टि सन्त बोनावेन्चर की ओर अभिमुख होती है। सन्त बोनावेन्चर बताते हैं कि कौन यथार्थ शिक्षक है, वे कहते हैं: "जब तक व्यक्ति के अन्तर में ईश पुत्र की उपस्थिति न हो तब तक कोई भी व्यक्ति न तो शिक्षा दे सकता न उसे कार्य रूप दे सकता और न ही ज्ञात सत्य तक पहुँच सकता है"(Sermo I de Tempore, Dom. XXII post Pentecosten, Opera omnia, IX, Quaracchi, 1901, 442)। येसु, सिंहासन पर विराजमान होते हैं ठीक उसी तरह जिस तरह महान नबी मूसा ने सिंहासन पर विराजमान होकर ईश संहिता को लोगों तक विस्तृत किया था"(Gesù di Nazaret, Milano 2007, 89)। येसु ही हमारे एकमात्र और यथार्थ शिक्षक हैं। इसीलिये, देहधारी शब्द ईश पुत्र येसु ख्रीस्त का अनुसरण करने के लिये हम सब बुलाये गये हैं जिन्होंने ईश इच्छा के प्रति सत्यनिष्ठ रहकर तथा अपने प्राणों की आहुति देकर अपनी शिक्षा के सत्य को हमारे समक्ष प्रस्तावित किया। धन्य अन्तोनियो रोज़िनी लिखते हैं: "प्रथम शिक्षक सभी अन्य शिक्षकों और साथ ही सभी अनुयायियों को प्रशिक्षित करते हैं, ताकि सभी, चाहे शिक्षक हों या अनुयायी, प्रथम शक्तिशाली शिक्षा के अनुकूल जी सकें"(Idea della Sapienza, 82, in: Introduzione alla filosofia, vol. II, Roma 1934, 143)। येसु मिथ्याभिमान अथवा घमण्ड की भी निन्दा करते हैं तथा इस बात पर बल देते हैं कि "लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिये किया गया काम", व्यक्ति को मानव स्वीकृति की दया पर छोड़ देता और इस प्रकार उन मूल्यों को गौण कर देता है जिनपर व्यक्ति का यथार्थ टिका है।"

आगे सन्त पापा ने कहा, "प्रिय मित्रो,
प्रभु येसु इस दुनिया में सेवक के रूप में आये, उन्होंने स्वतः को खाली कर दिया तथा विनम्रता की स्पष्ट शिक्षा देने के लिये ख़ुद को क्रूस तक नीचा कर लिया। उनके द्वारा दिये गये उदाहरण से, हम सबके लिये, जीवन का प्रस्ताव प्रस्फुटित होता हैः "जो तुम लोगों में से सब से बड़ा है, वह तुम्हारा सेवक बने" (मत्ती 23, 11)। पवित्रतम कुँवारी मरियम की मध्यस्थता को हम पुकारें तथा विशेष रूप से, ख्रीस्तीय समुदाय के उन लोगों के लिये विनती करें जिन्हें शिक्षा प्रेरिताई का मिशन सौंपा गया है ताकि सत्य के कार्यों द्वारा वे सदैव उन बातों के साक्षी बने रहें जिनका प्रचार वे शब्दों से करते हैं।"

इतना कहकर सन्त पापा ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सबपर प्रभु की अनुकम्पा की मंगलयाचना कर सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया। ........

देवदूत प्रार्तना के बाद सन्त पापा ने इटली तथा थायलैण्ड में, इन दिनों बाढ़ से प्रभावित हुए लोगों के लिये प्रार्थना की, उन्होंने कहाः "प्रिय भाइयो एवं बहनो, उन सब लोगों के प्रति मैं अपने सामीप्य का प्रदर्शन करता हूँ जो इन दिनों थायलैण्ड तथा इटली के लिगुरिया एवं तोस्काना प्रान्तों में भीषण वर्षा तथा बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। इन सबको मैं अपनी प्रार्थनाओं का आश्वासन देता हूँ।"

थायलैण्ड में विगत तीन माहों से जारी घनघोर वर्षा के कारण 381 लोग मारे गये हैं जबकि इटली के तोस्काना तथा लिगुरिया में हुई बारिश के बाद भूस्खलन से कई आवास नष्ट हो गये तथा नौ व्यक्तियों की मृत्यु भी हो गई है। इन सब लोगों के लिये सन्त पापा ने प्रार्थना की अपील की है।

तदोपरान्त, विभिन्न भाषाओं में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने तीर्थयात्रियों को सम्बोधित कर उनके प्रति मंगलकामनाएँ अर्पित कीं। अँग्रेज़ी भाषा भाषियों को सम्बोधित कर उन्होंने कहाः "अंग्रेज़ी भाषा भाषियों का अभिवादन करते हुए मैं अत्यधिक हर्षित हूँ। आज की पूजन पद्धति के लिये निर्धारित सुसमाचार पाठ में प्रभु ख्रीस्त हमसे आग्रह करते हैं कि हम अपने भाई बहनों के पक्ष किये जानेवाले कल्याणकारी कार्यों के साथ विनम्रता को भी जोड़ें। वास्तव में, अपनी दैनिक सेवाओं में हम सदैव प्रभु ख्रीस्त के अपूर्व एवं पूर्ण उदाहरण का अनुसरण करें। आप सबपर मैं प्रभु की आशीश की याचना करता हूँ।"










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