धन्य जोन पौल द्वितीय के नाम पहला गिरजाघर बंगलौर के निकट
बंगलौर, 31 अक्तूबर, 2011(एशियान्यूज़) भारत में वाटिकन के राजदूत मोनसिन्योर साल्वातोर
पेन्नकियो ने 25 अक्तूबर को बंगलौर के निकट के चन्नासान्द्रा होरामावू चर्च में धन्य
जोन पौल द्वितीय की प्रतिमा का अनावरण किया।
भारत में धन्य जोन पौल द्वितीय के
नाम पर पारिस में प्रतिमा स्थापित कर समर्पित किये जाने की यह पहली घटना है।
विदित
हो एक महान् मिशनरी पोप जोन पौल द्वितीय को 1 मई 2011 को काथलिक कलीसिया ने धन्य घोषित
किया।
धन्य जोन पौल द्वितीय दो बार भारत की प्रेरित यात्रा पर सन 1986 और सन्
1999 ईस्वी में भारत आये थे।
बंगलौर महाधर्मप्रांत के चन्नासान्द्रा होरामावू
पल्ली में धन्य जोन पौल की ताँबे की जिस प्रतिमा का अनावरण किया उसकी ऊँचाई 2.6 मीटर
है और उसका वजन है 375 किलोग्राम। इसका निर्माण बैंकॉक में हुआ।
इस प्रतिमा में
धन्य जोन पौल द्वितीय को ‘कैसोक या सुटान’ में दिखलाया गया है। उनके पाँव के निकट दो
राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न - मोर और कमल फूल भी बनाये गये हैं।
प्रतिमा अनावरण समारोह
में वाटिकन के राजदूत पिन्नकियो के अलावा बंगलौर के महाधर्माध्यक्ष बेरनार्ड मोरास और
कर्नाटक के सभी धर्मप्रांतों चिकमगलूर, मैसूर, बेलगाँव, बेल्लरी,शिमोगा, बेलथंगडी, भद्रावती,
मंगलोर, मान्दया, पुत्तुर, कारवार और गुलबर्ग के सभी 13 धर्माध्यक्ष उपस्थित थे।
अपने
प्रवचन में वाटिकन राजदूत साल्वातोर पिन्नकियो ने कहा, संत पापा एक मिशनरी थे;उन्होंने
अनेक राष्ट्रों का दौरा किया और भारत भी दो बार आये। उनके शब्द – ‘डरो नहीं ज़्यादा पकड़ने
के लिये अपनी जाल गहरे पानी में डालो’ बहुत ही अर्थपूर्ण हैं। राजदूत ने भारतवासियों
से अपील की कि येसु को अपने दिल में स्वीकार करने से न डरें और उसका अनुकरण करें।"
विदित
हो कि महाधर्माध्यक्ष बेर्नाड मोरास को धन्य जोन पौल द्वितीय ने ही धर्माध्यक्ष नियुक्त
किया था जो सबसे पहले बेलगाँव और बाद में बंगलौर के महाधर्माध्यक्ष बनाये गये।