लाहौर, 29 अक्तूबर, 2011 ( कैथन्यूज़) पाकिस्तान में ‘नैशनल कौंसिल फॉर इन्टरफेथ डायलॉग’
ने विश्व शांति दिवस के 25वें वर्षगाँठ पर 27 अक्तूबर को लाहौर के संत जोसेफ कैथोलिक
चर्च में एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया। इस सभा में विभिन्न धर्मों के 200 सदस्यों
ने हिस्सा लिया। धार्मिक नेताओं ने धार्मिक ग्रंथों से पाठ पढ़े और प्रार्थना करने
के अलावा अंतरधार्मिक वार्ता एवं सद्भावना की चुनौतियों के बारे में विचार किया। इस
अवसर पर उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कपुचिन रेक्टर हेनरी पौल ने कहा, "
धर्म की गलत व्याख्या के कारण देश में कई झगड़े होते रहते हैं। कई लोग धर्म को प्रयोग
अपने स्वार्थ के लिये करते और उसी धर्म के नाम पर दूसरों के साथ भेदभाव करते, मानवाधिकार
का हनन करते और कई बार इसके लिये हथियार भी उठाते हैं। इस अवसर पर बोलते हुए वाहदात
इस्लामी आंदोलन के अध्यक्ष मौलाना जावेद अकबर साकी ने कहा, " वे ईसाइयों और उनके प्रार्थनाघरों
में हो रहे आक्रमणों की भर्त्षणा करते हैं। उन्होंने कहा, "कई लोग चर्च के मंचों
से शांति और सद्भावना की वकालत करते हैं पर उसके अनुसार कार्य नहीं करते हैं।" प्रार्थना
सभा उपस्थित सिक्ख समुदाय के नेता ने राजनीतिज्ञों से अपील की है कि वे अपने धर्म और
परिवार की संकीर्ण भावना से ऊपर उठकर कार्य करें। उनका देश सिर्फ एक धर्मानुयायियों के
लिये नहीं बना है। सभा में उपस्थित सबों ने उत्तरी प्रांत में हुए शांति समिति के
लोगों पर हुए हमले की एक स्वर से निन्दा की। उन्होंने उन लोगों की भी निन्दा की जो ऐसे
मौलवियों को बदनाम करते हैं जो इस्लाम धर्म की उदारतापूर्वक व्याख्या करते हैं। मौलाना
साक़ी ने बताया कि लंदन में कुछ मुस्लिमों ने एक शांति सभा का आयोजन किया था जिसे लाहौर
के स्थानीय समाचारपत्रों ने नास्तिक क़रार दिया। सच पूछा जाये तो ऐसे सम्पादक ही आतंकवादी
है।