2011-10-26 14:16:29

बुधवारीय आमदर्शन समारोह में वार्ता, शांति और न्याय के लिये प्रार्थना सभा
26 अक्तूबर, 2011


वाटिकन सिटी, 26 अक्तूबर, 2011(सेदोक) श्रोताओ हम आपको बता दें आज से 25 वर्ष पूर्व धन्य जोन पौल द्वितीय ने वार्ता, विश्व शांति और न्याय के लिये असीसी में एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया था। आज उसकी 25वीं वर्षगाँठ की पूर्व संध्या पर संत पापा ने वाटिकन सिटी के पौल षष्टम् सभागार में एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया है जिसमें हज़ारों की संख्या में उपस्थित तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को संबोधित करते हुए संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा,

मेरे अतिप्रिय भाइयो बहनों, वार्ता शांति और न्याय दिवस को हमने ‘पिलग्रिम ऑफ ट्रुथ, पिलग्रिम ऑफ पीस’ अर्थात् सत्य के ‘तीर्थयात्री, शांति के तीर्थयात्री’ नाम दिया है ताकि हम अन्य धर्मावलंबियों और अविश्वासियों के साथ एकजुट होकर पूरी ईमानदारी से सत्य को पाने का प्रयास करें मानवता के हित के लिये कार्य करें और शांति के लिये समर्पित हों।

जो ईश्वर के मार्ग पर चलते हैं वे शांति का प्रचार किये बिना नहीं रह सकते और जो शांति के लिये कार्य करते हैं वे ईश्वर के करीब होते हैं।

एक ईसाई रूप में हम शांति के लिये अपनी प्रार्थना का बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं। ईश्वर हमारे मन और दिल को आलोकित करे तथा हमारा मार्गदर्शन करे ताकि हम प्रत्येक दिन न्याय और मेल-मिलाप के साधन बन सकें

येसु मसीह शांति के राजा हैं और उसका राज्य समस्त सृष्टि में फैल चुका है। येसु के अनुयायी रूप में हमें चाहिये कि हम उनके उस निमंत्रण पर ध्यान दें जिसमें उन्होंने कहा, " दुनिया के कोने-कोने में जाकर सारी सृष्टि को मेरा शिष्य बनाओ। मैं दुनिया के अन्त तक सदा तुम्हारे साथ हूँ।"

येसु के अनुयायियों को भेजते हुए कहते हैं, " मैं तुम्हें भेड़ियों के बीच मेमनों की तरह भेजता हूँ।"

ईसाइयों को चाहिये कि वे कभी भी भेड़िया बनने के प्रलोभन में न फँसे क्योंकि ईश्वर के येसु के राज्य का विस्तार बल प्रयोग से नहीं बल्कि शांति और अपने बैरियों को भी दिये जाने वाले प्रेमोपहार से होता है।

येसु ने दुनिया पर हथियारों से विजय प्राप्त नहीं की पर क्रूस की शक्ति से दुनिया को जीता और यही विजय सचमुच में जीत है। यही क्रूस उनके अनुयायियों के लिये शक्ति है। येसु के लिये उन्हें दुःख उठाना है, शहीद होना है और उसी के लिये अपना जीवन में गँवा देना है।

संत पेत्रुस महागिरजाघर के सम्मुख संत पेत्रुस और पौलुस की मूर्ति है जिसमें संत पौलुस के हाथ में एक तलवार है जो दुःख उठाने वालों का प्रतीक है – ऐसे ख्रीस्तीयों का जो येसु के लिये दुःख उठाने और अपना सर्वस्व अर्पित करने के लिये सदैव तैयार रहते हैं।
संत पापा ने कहा कि आज हम ईश्वर से शांति के उपहार माँगे। ईश्वर हमें कृपा दे कि हम घृणा, विभाजन स्वार्थ और युद्ध से आहत दुनिया में शांति के प्रचारक बनें।

वृहस्पतिवार 27 अक्तूबर से आरंभ अंन्तरधार्मिक प्रार्थना सभा लोगों के मन दिल को आलोकित करे ताकि लोग एक-दूसरे को क्षमा करें, मेलमिलाप और प्रेम से रहें और इस प्रकार विश्व में शांति का साम्राज्य स्थापित हो पायेगा।

इतना कह कर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने सभा में उपस्थित विश्वासियों, देश-विदेश के तीर्थयात्रियों और उनके परिवार के सभी सदस्यों पर प्रभु की कृपा तथा शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना आशीर्वाद दिया।


हमारे प्रिय श्रोताओं को हम दीपावली के शुभ अवसर पर वाटिकन रेडियो हिन्दी परिवार की ओर से पर्व की शुभकामनायें देते हैं।








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