वाटिकन सिटीः अर्थव्यवस्था के सुधार हेतु वाटिकन ने नैतिक वैश्विक अधिकार तंत्र का किया
आह्वान
वाटिकन सिटी, 25 अक्टूबर सन् 2011 (सेदोक): विश्वव्यापी आर्थिक संकट के मद्देनज़र वाटिकन
ने अर्थव्यवस्था को नियमों के अधीन करने के लिये एक नैतिक वैश्विक अधिकार तंत्र के निर्माण
का आह्वान किया है।
वाटिकन स्थित न्याय एवं शांति सम्बन्धी परमधर्मपीठीय समिति
ने 41 पृष्ठोंवाला एक दस्तावेज़ प्रकाशित कर विश्व व्यापी अर्थव्यवस्था में सुधारों की
मांग की ताकि वित्तीय मार्केट को नियमों के अधीन किया जा सके तथा विश्व में बढ़ती असमानता
को कम किया जा सके।
वाटिकन के उक्त दस्तावेज़ में आर्थिक सुधारों का आह्वान
किया गया, सामूहिक लोभ-लालच की निन्दा की गई, वित्तीय बाज़ारों की प्रक्रियाओं से मानवजाति
पर पड़नेवाले प्रभावों के परीक्षण का आग्रह किया गया तथा नैतिक मूल्यों पर आधारित एक
विश्वव्यापी राजनैतिक अधिकार तंत्र के निर्माण की मांग की गई।
दस्तावेज़ में
कहा गया, "वर्तमान आर्थिक संकट ने स्वार्थ, सामूहिक लोभ-लालच तथा चल एवं अचल सम्पत्तियों
के व्यापक संचयन जैसे अनैतिक आचार व्यवहार को उजागर किया है जबकि आर्थिक संकट से उबरने
के लिये विश्व के धनी एवं निर्धन देशों के बीच एकजुटता तथा गहन "नैतिक एकात्मता" की नितान्त
आवश्यकता है।
वाटिकन के दस्तावेज़ में अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में सुधार को
अत्यावश्यक बताया गया और कहा गया कि कोष ने अपने ऋण निकाय पर नियंत्रण खो दिया है जिसका
बोझ निर्धन देशों पर आ पड़ा है।
दस्तावेज़ में वित्तीय सम्पादनों पर कर वसूल
का सुझाव रखा गया ताकि करों से जमा की गई पूँजी को आर्थिक संकट से जूझ रहे निर्धन देशों
की सहायता में लगाया जा सके। इसके अतिरिक्त, वर्तमान में अनियंत्रित वित्तीय बाज़रों
के नियमन हेतु और अधिक प्रभावशाली व्यवस्था का भी आह्वान किया गया। दस्तावेज़ मे इस बात
पर बल दिया गया कि "हमें नये विचार प्रस्तावित करने में हिचकिचाना नहीं चाहिये भले ही
हमारे विचार पहले से अस्तित्व में रहे सत्ता के सन्तुलन को हिला दें क्योंकि अब तक अस्तित्व
में रहा सन्तुलन हमेशा दुर्बल पर हावी रहा है।"