वाटिकन सिटीः सन्त घोषणा के अवसर पर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का प्रवचन
वाटिकन सिटी, 24 अक्टूबर सन् 2011 (सेदोक): रविवार 23 अक्टूबर को सन्त पापा बेनेडिक्ट
16 वें ने सन्त फ्राँसिस ज़ेवियर को समर्पित मिशनरी धर्मसमाज के संस्थापक धर्माध्यक्ष
ग्वीदो मरिया कोनफोर्ती, उदारता के सेवक धर्मसमाज एवं विकलांगों की सेवा में संलग्न,
ईश माता मरियम की पुत्रियाँ नामक धर्मसंघ के संस्थापक डॉन लूईजी ग्वानेला तथा, सन्त जोसफ
के सेवक नामक धर्मसंघ के संस्थापिका बोनीफात्सिया रोडरिग्ज़ दे कास्त्रो को, वाटिकन स्थित
सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में सन्त घोषित कर वेदी का सम्मान प्रदान किया। इन
तीनों ही सन्तों ने अपने जीवन काल में ईश्वर एवं पड़ोसी के प्रति अगाध प्रेम का साक्ष्य
दिया है।
सन्त घोषणा के अवसर पर अर्पित ख्रीस्तयाग प्रवचन में सन्त पापा ने इस
रविवार के लिये निर्धारित सुसमाचार पाठ पर चिन्तन किया। सन्त मत्ती रचित सुसमाचार के
इस पाठ में प्रभु येसु ख्रीस्त ईश्वर एवं पड़ोसी प्रेम के महत्व की प्रकाशना करते हैं।
येसु कहते हैं कि पड़ोसी प्रेम उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि ईश्वर के प्रति प्रेम।
इस सन्दर्भ में सन्त पापा ने कहा, "सुसमाचार में हमने अभी अभी जिन शब्दों को सुना उनसे
हमें स्मरण हो आया है कि ईश्वर का विधान प्रेम में समाहित है। फरीसियों द्वारा येसु से
किये प्रश्न के उत्तर में येसु उनसे कहते हैं, ''अपने प्रभु-ईश्वर को अपने सारे हृदय,
अपनी सारी आत्मा और अपनी सारी बुद्धि से प्यार करो। यह सब से बड़ी और पहली आज्ञा है। दूसरी
आज्ञा इसी के सदृश है- अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो। इन्हीं दो आज्ञायों पर समस्त
संहिता और नबियों की शिक्षा अवलम्बित हैं।''
सन्त पापा ने कहा कि ईश्वर के प्रति
प्रेम का दृश्यमान प्रतीक पड़ोसी के प्रति प्रेम है। यदि हम अपने भाई और पड़ोसी की मदद
करते हैं, भाई और पड़ोसी को अपने ही समान प्यार करते हैं तो हम संसार के समक्ष हम ईश
प्रेम का साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं। सन्त पापा ने कहा, "आज के सुसमाचार के सन्दर्भ में
यह वास्तव में समयोचित एवं शुभ है कि हम उन तीन सन्तों को कलीसिया के सदस्यों के समक्ष
आदर्श रूप में प्रस्तुत करें जिनका सम्पूर्ण जीवन ईश्वरीय प्रेम से ओत् प्रोत् रहा। विभिन्न
परिस्थितियों में तथा विभिन्न प्रेरिताइयों द्वारा उन्होंने तन मन से ईश्वर को प्यार
किया तथा अपने पड़ोसी को अपने समान ही प्यार किया "ताकि वे सब विश्वासियों के लिए आदर्श
बन जायें" (प्रथम पत्र थेसलनीकियों 1:7)।"
सन्त फ्राँसिस ज़ेवियर को समर्पित
मिशनरी धर्मसमाज के संस्थापक धर्माध्यक्ष ग्वीदो मरिया कोनफोर्ती का जन्म इटली में सन्
1865 ई. में तथा निधन सन् 1931 ई. में हो गया था, आप इताली धर्मप्रान्त पारमा के धर्माध्यक्ष
थे। उदारता के सेवक धर्मसमाज एवं विकलांगों की सेवा में संलग्न, ईश माता मरियम की पुत्रियाँ
नामक धर्मसंघ के संस्थापक, इताली पुरोहित डॉन लूईजी ग्वानेला का जन्म सन् 1842 ई. में
तथा निधन सन् 1915 ई. में हो गया था। स्पेन की धर्मबहन तथा सन्त जोसफ के सेवक नामक धर्मसंघ
की संस्थापिका, बोनीफात्सिया रोडरिग्ज़ दे कास्त्रो का जन्म 1837 ई. में तथा निधन सन्
1905 ई. में हो गया था।
सन्त फ्राँसिस ज़ेवियर को समर्पित मिशनरी धर्मसमाज के
संस्थापक धर्माध्यक्ष ग्वीदो मरिया कोनफोर्ती के विषय में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें
ने कहा कि बाल्यकाल से ही उनमें ईश इच्छा के पालन की अभिलाषा थी। प्रतिदिन वे क्रूसित
प्रभु पर चिन्तन किया करते तथा प्रभु येसु द्वारा मानव जाति के प्रति प्रदर्शित प्रेम
के प्रसार के लिये लालायित रहा करते थे। सन्त फ्राँसिस ज़ेवियर को समर्पित धर्मसमाज की
स्थापना कर उन्होंने इसे सुसमाचार उदघोषणा का मिशन प्रदान किया ताकि सम्पूर्ण विश्व प्रभु
के प्रेम का अनुभव कर सके। इताली पुरोहित डॉन लूईजी ग्वानेला के विषय में सन्त पापा ने
कहा कि मानवजाति के ख़ातिर अर्पित प्रभु ख्रीस्त के बलिदान से उनका सम्पूर्ण जीवन प्रभावित
रहा तथा इसी कारण उन्होंने उन संस्थाओं की स्थापना की जो समाज के बहिष्कृत एवं उपेक्षितों
की सेवा में सदैव संलग्न रहकर प्रभु ख्रीस्त के प्रेम की प्रकाशना करें। सन्त पापा ने
कहा कि डॉन लूईजी ग्वानेला में हमें ईश्वर ने "उदारता के नबी एवं प्रेरित" का वरदान दिया
है।
इसी प्रकार स्पेन की धर्मबहन बोनीफात्सिया रोडरिग्ज़ दे कास्त्रो के विषय
में सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि धर्मबहन ने सन्त पौल के पद चिन्हों पर चलकर अपने जीवन
को उदारता के कार्यों साथ साथ सुसमाचार प्रचार में व्यतीत किया। बड़ी सादगी एवं विनम्रता
के वातावरण में उन्होंने सन्त जोसफ को समर्पित धर्मसंघ की स्थापना की जिसने हम सबके लिये
नाज़रेथ के परिवार का आदर्श प्रस्तुत किया है।
अपने कठिन कार्यों को सृष्टिकर्त्ता
एवं सर्वशक्तिमान् ईश्वर की प्रशस्ति एवं स्तुति में परिणित करनेवाले इन तीन नवीन सन्तों
को सन्त पापा ने समस्त विश्व के काथलिक धर्मानुयायियों का आदर्श निरूपित किया और प्रभु
ईश्वर से याचना की इन से प्रेरणा पाकर हम सब भी ईश्वर एवं पड़ोसी प्रेम के यथार्थ साक्षी
बन सकें।
ख्रीस्तयाग समारोह समाप्त करने से पूर्व सन्त पापा ने रविवारीय परम्परा
को जारी रखते हुए भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया किन्तु इससे पूर्व
सन्त घोषणा समारोह के लिये देश विदेश से रोम पहुँचे तीर्थयात्रियों का अभिवादन कर उनके
प्रति मंगलकामनाएं अर्पित कीं।
सन्त पापा ने कहा, "सन्त ग्वीदो मरिया कोनफोर्ती
तथा सन्त लूईजी ग्वानेला की सन्त घोषणा हेतु आज यहाँ उपस्थित सभी श्रद्धालुओं का मैं
हार्दिक अभिवादन करता हूँ। इन सन्तों द्वारा स्थापित धर्मसमाजों एवं धर्मसंघों के सदस्यों
को मैं प्रोत्साहन देता हूँ कि इन महान व्यक्तियों के पद चिन्हों पर चल वे ख्रीस्तीय
सुसमाचार का प्रचार कर तथा उदारता के कार्यों में सुसमाचार को व्यवहार रूप प्रदान कर
वे विश्व में प्रेम एवं शांति स्थापित करने में योगदान दें।" सन्त पापा ने कहा कि इन
दोनों नये सन्तों के द्वारा एक बार फिर इटली ने विश्व एवं कलीसिया को सुसमाचार के प्रकाशमान
साक्षियों का वरदान दिया है।" तदोपरान्त सन्त जोसफ के सेवक नामक धर्मसंघ की संस्थापिका,
बोनीफात्सिया रोडरिग्ज़ दे कास्त्रो की सन्त घोषणा हेतु स्पेन से अपने धर्माध्यक्षों
एवं पुरोहितों के साथ पधारे हज़ारों तीर्थयात्रियों का स्पानी भाषा में अभिवादन कर सन्त
पापा ने कहा, "स्पानी भाषा भाषियों का अभिवादन करते मैं आज अत्यधिक प्रसन्न हूँ। मेरी
उत्कट अभिलाषा है कि आप सब नवीन सन्त के पद चिन्हों पर चल समाज के उपेक्षित वर्ग की सेवा
करें तथा विश्व को प्रभु ख्रीस्त के प्रकाश से आलोकित करें।"
अँग्रेज़ी भाषा
भाषियों को सम्बोधित कर सन्त पापा ने कहा, "प्रिय भाइयो एवं बहनो, सभी अँग्रेज़ी भाषा
भाषियों तथा उपस्थित तीर्थयात्रियों को सम्बोधित करते मैं हर्षित हूँ। विशेष रूप से,
उन सब भाई बहनों का मैं सस्नेह अभिवादन करता हूँ जो सन्त घोषणा समारोह के लिये रोम पहुँचे
हैं। इस रविवार के लिये निर्धारित सुसमाचार पाठ में येसु हमसे आग्रह करते हैं कि हम सब
चीज़ों से पहले ईश्वर से प्रेम करें तथा अपने पड़ोसी से अपने ही समान प्यार करें। अपने
प्रतिदिन के कार्यों को हम प्रेम हेतु प्रभु के आह्वान से नापे तथा साहस एवं आनन्द के
साथ उसे जियें। सर्वशक्तिमान् प्रभु ईश्वर आप सबको आशीश दे।"
अन्त में सन्त
पापा ने माँ मरियम से इस प्रकार प्रार्थना कीः "अब हम पवित्र कुँवारी मरियम की ओर दृष्टि
निहारें जो ख्रीस्त के शिष्यों को पवित्रता के पथ पर अग्रसर करती है। विश्व में शांति
एवं न्याय की स्थापना हेतु चिन्तन, सम्वाद तथा प्रार्थना के विशिष्ट दिवस को हम मरियम
की मध्यस्थता के सिपुर्द करें। वह दिवस जो 25 वर्षों पूर्व धन्य सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय
द्वारा स्थापित किया गया था तथा अब प्रति वर्ष हम सबके लिये असीसी की तीर्थयात्रा बन
गया है।"
इस प्रकार 27 अक्टूबर को इटली के असीसी नगर में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय
अन्तरधार्मिक प्रार्थना सम्मेलन को मरियम के संरक्षण के सिपुर्द कर सन्त पापा ने देवदूत
प्रार्थना का पाठ कर सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।