वाटिकन सिटी, 24 अक्तूबर, 2011(सीएनए) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने 23 अक्तूबर को आयोजित
रोम के संत पेत्रुस महागिरजाघर में आयोजित एक भव्य समारोह में तीन धन्यों को ‘विश्वासियों
का आर्दश’ कहते हुए संत की उपाधि प्रदान की।
संत पापा ने कहा, " आइये हम संतों
के जीवन के उदाहरण और उनकी शिक्षा से प्रेरित हों ताकि हमारा जीवन ही लोगों के लिये ईश्वरीय
प्रेम एवं पड़ोसी प्रेम का साक्ष्य बने।
हज़ारों की संख्या में एकत्रित विश्वासियों
के समक्ष जिनकी घोषणा संतों के रूप में की गयी वे हैं सिस्टर बोनिफाचिया रोद्रिग्वेज
इ कास्त्रो, महाधर्माधक्ष गुईदो मरिया कोनफोरती और पादर लुईजी गुवानेल्ला।
सिस्टर
बोनिफाचिया का जन्म सन् 1837 ईस्वी में स्पेन के सलामांका में हुआ था। उन्होंने अपना
सारा जीवन गरीब महिला कामगारों के लिये बिता दिया और सन् 1874 ईस्वी में सर्वन्टस ऑफ
सेंट जोसेफ धर्म की सह-संस्थापिका बनीं।यह धर्मसमाज गरीब बेरोज़गार महिलाओं को रोज़गार
प्रदान करता है।
महाधर्माधर्माध्यक्ष गुइदो मरिया कोनफोरती का जन्म सन् 1865
में इटली के पारमा में हुआ था। एक युवा रूप में वह एक मिशनरी बनने का स्वपन देखा करता
था पर अपनी बीमारी के कारण कई धर्मसमाजों के द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया।
तब
उसने सन् 1895 ईस्वी खुद ही एक धर्मसमाज की स्थापना की जिसे जेविरियन मिशनरीस के नाम
से जाना जाता है। बाद में वह रावेन्ना का धर्माध्यक्ष और पारमा का महाधर्माध्यक्ष बनाया
गया।
फादर लुईजी गुवानेल्ला का जन्म सन् 1842 ईस्वी में इटली के कोमो में हुआ
था। उन्होंने अपना सारा जीवन गरीब और ज़रूरतमंदों की सेवा में बिता दिया। उन्होंने भी
सन् 1881 ईस्वी में ‘डोटर्स ऑफ सेंट मेरी ऑफ प्रोविडेन्स’ धर्मसमाज की स्थापना की और
सन् 1908 में ‘सर्वन्टस ऑफ चैरिटी’।
संत पापा ने कहा, " ईश्वरीय कृपा महान्
है जिन्होंने हमें तीन नये संत प्रदान किये हैं। तीनों संतों ने विभिन्न परिस्थितियों
में ईश्वर को और अपने पड़ोसियों को अपना प्यार दिखाया और विश्वासियों के लिये एक आदर्श
प्रस्तुत किया है।"