2011-10-20 12:28:06

दीपावली महोत्सव 2011 के उपलक्ष्य में वाटिकन का संदेश


प्रिय हिन्दू मित्रो,


    इस वर्ष, 26 अक्टूबर को मनाये जा रहे दीपावली महोत्सव के उपलक्ष्य में, आपको शुभकामनाएँ प्रेषित करते हुए, अन्तरधार्मिक वार्ता सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद, अत्यधिक हर्षित है। प्रकाश के स्रोत, प्रभु ईश्वर, शांति और समृद्धि सम्पन्न जीवन हेतु, आपके हृदयों, घरों एवं समुदायों को आलोकित करें।


    इस सुअवसर पर अपने चिन्तन को आपके साथ बाँटने की नेक परम्परा को जारी रखते हुए, इस वर्ष, हम, धार्मिक स्वतंत्रता के विषय की प्रस्तावना कर रहे हैं। यह विषय, इस समय, कई स्थलों पर केन्द्रीय मंच ग्रहण कर रहा है, जिससे हमारा ध्यान मानव परिवार के उन सदस्यों की ओर आकर्षित हुआ है जो अपने धार्मिक विश्वास के कारण भेदभाव, पूर्वधारणा, घृणा प्रचार, पक्षपात एवं अत्याचार के शिकार बनाये जा रहे हैं। विश्व के कई क्षेत्रों में धर्म के नाम पर हो रहे झगड़ों का समाधान केवल धार्मिक स्वतंत्रता से मिल सकता है। इन झगड़ों से भड़कनेवाली हिंसा के बीच, अनेक लोग शांतिपूर्ण सहअस्तित्व तथा मानव के सर्वांगीण विकास के लिये लालायित रहते हैं।


    धार्मिक स्वतंत्रता को मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा में मूलबद्ध मूलभूत मानवाधिकारों में गिनाया गया है। जब इसका अतिक्रमण या उल्लंघन होता है, तब, सभी अन्य मानवाधिकार ख़तरे में पड़ जाते हैं। धार्मिक स्वतंत्रता, आवश्यक रूप से, किसी भी व्यक्ति, दल, समुदाय अथवा संस्था के बलप्रयोग के विरुद्ध व्यक्ति को छुटकारा दिलाती है। हालांकि, इस अधिकार का प्रयोग, अपरिहार्य रूप से, सार्वजनिक या व्यक्तिगत तौर पर, अकेले या समुदाय के साथ मिलकर, प्रत्येक व्यक्ति को, धार्मिक विश्वास की अभिव्यक्ति, धर्म के पालन एवं धर्म के प्रचार की स्वतंत्रता प्रदान करता है। प्रशासनिक अधिकारियों, व्यक्तियों एवं दलों द्वारा अन्यों की स्वतंत्रता का सम्मान किये जाने का गम्भीर दायित्व भी, धार्मिक स्वतंत्रता के साथ, जुड़ा हुआ है। इसके अतिरिक्त, इसमें अपने धर्म को परिवर्तन करने की छूट भी शामिल है।


    जब इसका सम्मान किया जाता तथा इसे प्रोत्साहन दिया जाता है, तब धार्मिक स्वतंत्रता, विश्वासियों को, न्याय एवं मानवीय मूल्यों पर आधारित, सामाजिक व्यवस्था के निर्माण में अपने देशवासियों के साथ सहयोग करने हेतु, और अधिक, उत्साह प्रदान करती है। किन्तु, जहाँ कहीं भी और जब भी उसका उल्लंघन, दमन या अतिक्रमण होता है तब, "सम्पूर्ण मानव परिवार का विकास एवं स्थाई शांति का दम घुटता तथा वह कुण्ठित हो जाती है (दे. सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें, विश्व शांति दिवस सन् 2011 के उपलक्ष्य में प्रकाशित सन्देश)। ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जिनमें लोकहित के लिये विशिष्ट योगदान दिया जा सकता है, उदाहरणार्थ, जीवन की सुरक्षा और परिवार की प्रतिष्ठा, बच्चों की उत्तम शिक्षा, रोज़मर्रा के जीवन में ईमानदारी, तथा प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा, इनमें से कुछ हैं। तो आइये, अपनी ज़िम्मेदारियों को दृष्टिगत रख, हम एक साथ मिलकर, धार्मिक स्वतंत्रता को प्रोत्साहित करने का प्रयास करें, देश के नेताओं से, हम, आग्रह करें कि वे मानव प्राणी के धार्मिक आयाम की कभी भी अवहेलना न करें।


    इस वर्ष, जिस दिन आप दीपावली मनायेंगे, उसके ठीक एक दिन बाद, समस्त विश्व से अनेक धार्मिक नेता, असीसी नगर की तीर्थयात्रा में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के साथ होंगे ताकि, धर्मों को शांति एवं मैत्री के माध्यम बनाने हेतु, 25 वर्षों पूर्व धन्य सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय के नेतृत्व में किये गये प्रण को नवीकृत किया जा सके। इस विश्वास की अभिव्यक्ति करते हुए कि विभिन्न धर्मों के अनुयायी, सम्पूर्ण विश्व के लिये, सदैव एक वरदान रहेंगे, हम, आध्यात्मिक रूप से, उनके साथ संयुक्त रहेंगे।

दीपावली महोत्सव पर हम आप के प्रति हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित करते हैं।



कार्डिनल जाँ-लई तौराँ
अध्यक्ष




महाधर्माध्यक्ष पियर लूईजी चेलाता
सचिव











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