वाटिकन सिटीः देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश
श्रोताओ, रविवार 16 अक्टूबर को, सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में तीर्थयात्रियों
के साथ देवदूत प्रार्थना के पाठ से पूर्व, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने, भक्त समुदाय
को इस प्रकार सम्बोधित कियाः
“अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
कल और आज वाटिकन
में नवीन सुसमाचार उदघोषणा विषय पर एक बहुत ही महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुई। यह बैठक
आज प्रातः सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में मेरे द्वारा अर्पित ख्रीस्तयाग समारोह के साथ
समाप्त हुई। नवीन सुसमाचार उदघोषणा के प्रोत्साहन हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति की पहल
पर यह बैठक आयोजित की गई थी जिसका प्रमुख उद्देश्य प्राचीन ख्रीस्तीय परम्पराओं वाले
देशों में नये सिरे से सुसमाचार उदघोषणा पर चिन्तन करना। इस बैठक के दौरान अनेक महत्वपूर्ण
साक्ष्य एवं अनुभवों की प्रस्तावना भी की गई।
इस आमंत्रण का प्रत्युत्तर, विश्व
के विभिन्न क्षेत्रों में इस मिशन से संलग्न, कई लोगों ने दिया। यह वह मिशन है जिसे धन्य
सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने स्पष्ट रूप से कलीसिया के समक्ष प्रस्तुत अत्यावश्यक चुनौती
रूप में इंगित किया था। द्वितीय वाटिकन महासभा के अवसर पर वे तथा इस मिशन को कार्यरूप
प्रदान करनेवाले, सन्त पापा पौल षष्टम, "आद जेन्तेस" मिशन के महान समर्थक रहे हैं, "आद
जेन्तेस" अर्थात् लोगों तक उन भू क्षेत्रों तक जहाँ तक सुसमाचार ने अपनी जड़ें आरोपित
नहीं कर ली हैं वहाँ तक, नवीन सुसमाचार के सन्देशवाहक। कलीसिया के अद्वितीय मिशन के यही
आयाम हैं, और अक्टूबर माह में इस मिशन को याद करना तथा उसपर चिन्तन करना अर्थपूर्ण है
क्योंकि यह महीना कलीसिया के मिशन के प्रति समर्पित रखा गया है। आगामी रविवार को हम सब
इसीलिये विश्व मिशनरी दिवस मना रहे हैं।"
सन्त पापा ने आगे कहा, ..........."अभी
अभी जैसा कि मैंने ख्रीस्तयाग के दौरान कहा, मैं, आगामी वर्ष को विश्वास का विशेष वर्ष
घोषित करना चाहता हूँ। यह वर्ष द्वितीय वाटिकन महासभा की 50 वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य
में 11 अक्टूबर सन् 2012 को आरम्भ होगा तथा रविवार, 24 नवम्बर सन् 2013 को, ख्रीस्त राजा
के महापर्व के दिन, सम्पन्न होगा। इस विशिष्ट वर्ष की घोषणा, इसके कारणों, इसके प्रमुख
अंग, इसके निर्देशों तथा इसके प्रमुख कार्यक्रमों के बारे में मैंने अपने नये विश्व पत्र
में प्रस्ताव रखें हैं जिसकी प्रकाशना आगामी दिनों कर दी जायेगी। प्रभु सेवक सन्त पापा
पौल षष्टम ने इसी प्रकार सन् 1967 ई. में, प्रथम प्रेरित सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस
की शहादत की 19 वीं शताब्दी के स्मरणार्थ, महान सांस्कृतिक परिवर्तनों के युग में, "विश्वास
के वर्ष" की घोषणा की थी। मेरे विचार से, धन्य सन्त पापा जॉन 23 वें की स्मृति से जुड़े,
द्वितीय वाटिकन महासभा के उदघाटन के पचास साल बीत जाने के बाद विश्वास के सौन्दर्य एवं
उसकी केन्द्रीयता का स्मरण किया जाना उचित ही है। विश्वास को मज़बूत करना, वैयक्तिक एवं
सामुदायिक स्तर पर उसपर मनन चिन्तन करना तथा उसे केवल समारोही परिप्रेक्ष्य से नहीं अपितु
मिशनरी परिप्रेक्ष्य अर्थात् नवीन सुसमाचार उदघोषणा की दृष्टि से मनाना उचित एवं हितकर
होगा।"
उन्होंने आगे कहाः .........."प्रिय मित्रो,
इस रविवार के लिये निर्धारित धर्मग्रन्थ पाठ एवं आराधना विधि चिन्तन के लिये थेसलनीकियों
के नाम प्रेषित सन्त पौल के पत्र से पाठ चुना गया, सन्त पौल लिखते हैं: "हमने निरे शब्दों
द्वारा नहीं, बल्कि सामर्थ्य, पवित्र आत्मा तथा दृढ़ विश्वास के साथ आप लोगों के बीच सुसमाचार
का प्रचार किया।" लोगों के प्रेरित सन्त पौल के ये शब्द, येसु ख्रीस्त को न जाननेवालों
अथवा उन्हें मात्र एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व बना देने वालों के मध्य सुसमाचार की उदघोषणा
में लगे, आज के मिशनरियों –पुरोहितों, धर्मसंघियों एवं लोकधर्मी विश्वासियों- के कार्यक्रम
की रूपरेखा तथा प्रेरणा का स्रोत बने। पवित्र कुँवारी मरियम, सुसमाचार के सच्चे साक्षी
बनने में, हर ख्रीस्तीय धर्मानुयायी की मदद करें।"
इतना कहकर सन्त पापा बेनेडिक्ट
16 वें ने सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत
प्रार्थना का पाठ किया तथा सब पर प्रभु की शांति का आव्हान कर सबको अपना प्रेरितिक आर्शीवाद
प्रदान किया ----------------------------
देवदूत प्रार्थना के उपरान्त सन्त पापा
ने अँग्रेज़ी भाषा भाषियों को सम्बोधित कर कहाः ............. "सभी अँग्रेज़ी भाषा
भाषियों के प्रति मैं हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित करता हूँ। आज के सुसमाचार में येसु हमें
स्मरण दिलाते हैं कि एक दूसरे के प्रति तथा नागर अधिकारियों के प्रति हमारे कर्त्तव्य
से पहले हमारा कर्त्तव्य सर्वशक्तिमान् ईश्वर के प्रति है। अपने दायित्वों को सदैव पहचानने
के लिये हम ईश्वर से प्रज्ञा की प्रार्थना करते तथा अपने सभी कार्यों में सृष्टिकर्त्ता
एवं उद्धारकर्त्ता ईश्वर की स्तुति एवं महिमा करते हैं। आप सबको प्रभु आशीर्वाद दें।"