रोमः संयुक्त राष्ट्र में वाटिकन की भूमिका शांति की रक्षा करना, फादर लोमबारदी
रोम, 11 अक्टूबर सन् 2011 (ज़ेनित): वाटिकन के प्रेस कार्यालय के निर्देशक फादर फेदरीको
लोमबारदी ने कहा है कि शांति एवं मानवाधिकारों की रक्षा करना संयुक्त राष्ट्र संघ में
वाटिकन की प्रमुख भूमिका है।
वाटिकन टेलेविज़न पर रविवार को प्रसारित अपने साप्ताहिक
रूपक "ओक्तावा दियेज़" पर संयुक्त राष्ट्र संघ में वाटिकन की भूमिका को परिभाषित करते
हुए उन्होंने कहा, "कई बार यह प्रश्न पूछा जाता है कि परमधर्मपीठ के अधिकारियों की संयुक्त
राष्ट्र संघ में क्या भूमिका है?"
उन्होंने कहा कि इस प्रश्न का उत्तर, 27 सितम्बर
को संयुक्त राष्ट्र संघ के वर्तमान सत्र में, वाटिकन के विदेश सचिव महाधर्माध्यक्ष दोमनिक
मामबेरती द्वारा दिये प्रभाषण में मिल सकता है। महाधर्माध्यक्ष ने अपने प्रभाषण में स्व.
सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय के शब्दों का स्मरण दिलाया है और कहा है कि संयुक्त राष्ट्र
संघ को वह स्थल होना चाहिये जहाँ विभिन्न देश एक दूसरे को एक ही परिवार के सदस्य समझें।
ऐसा परिवार जो आपसी एकात्मता तथा मानव जाति के कल्याण की भावना से प्रेरित रहे।
फादर
लोमबारदी ने कहा कि इसी पृष्टभूमि में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सुरक्षा की ज़िम्मेदारी
की संकल्पना को विकसित किया जिसे, "समाज के दुर्बल वर्ग के प्रति एकात्मता एवं सहायता
में ठोस अभिव्यक्ति मिलना चाहिये।"
फादर लोमबारदी ने कहा कि महाधर्माध्यक्ष मामबेरती
ने इन दो सन्त पापाओं के शब्दों के आधार पर इस तथ्य को प्रकाशित किया है कि निर्धन देशों
की मदद करना अमीर देशों की ज़िम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मानवतावादी संकट के समय,
मसलन हॉर्न ऑफ अप्रीका में उत्पन्न खाद्य संकट के समय संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्यों
की ज़िम्मेदारी है कि संकट को कम करने में सहयोग करें।
फादर लोमबारदी ने कहा कि
परमधर्मपीठ के प्रतिनिधि अनवरत विश्व में शांति और मानवाधिकारों की सुरक्षा के प्रति
समर्पित रहने का आह्वान करते रहे हैं। विशेष रूप से, उन्होंने कहा, विश्व के उन क्षेत्रों
पर ध्यान देने का आह्वान जहाँ धर्म पालन की स्वतंत्रता को कुण्ठित किया जा रहा है तथा
लोगों को उनके विश्वास के कारण, समाज की मुख्यधारा से अलग कर, उत्पीड़ित किया जा रहा
है।