मोदी सरकार की अराजकता के विरुद्ध में " काला दिवस "
अहमदाबाद, 8अक्तूबर, 2011 ( कैथन्यूज़) मानव और नागिरक अधिकार कार्यकर्त्ता 8 अक्तूबर
शनिवार को मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के " कुशासन " के विरोध में " काला दिवस " मनाया। कैथन्यूज
के अनुसार इस दिन गुजरात के सभी शहरों में कार्यकर्त्ता काला बिल्ला लगाकर मोदी की अराजकता
के विरुद्ध आवाज़ उठाया। ‘प्रशान्त’ नामक स्वयं सेवी संस्था के जेस्विट फादर सेड्रिक
प्रकाश ने मीडियाकर्मियों को बताया कि जब से नरेद्र मोदी ने सन् 2001 में सत्ता संभाली
है दलितों आदिवासियों, ईसाइयों और मुसलमानों पर ‘सुनियोजित हमले’ होने की खबरों में वृद्धि
हुई है। इतना ही नहीं सन् 2002 में मुस्लिम विरोध दंगो में जिन 2 हज़ार लोगों की
मौंतें हुई थीं उनके परिजनों को अब तक न्याय नहीं मिला है, इसके विपरीत उनकी हालत बदतर
हुई है। फादर सेड्रिक ने कहा सरकारी कल्याणकारी योजनायें अल्पसंख्यकों के पहुँच के
बाहर हैं और मोदी सरकार ने अल्पसंख्यक विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति राशि को केन्द्र
वापस भेज दिया है। उधर गाँधीवादी मानवाधिकार कार्यकर्त्ता चुन्नीभाई वैद्य ने कहा
है जिस प्रकार की स्थिति गुजरात में वह सन् 1975 के आपातकाल मे हुआ करती थी। " मोदी
के विरुद्ध में जो भी बात करे उस जेल की सजा हो सकती है।" विदित हो कि भारतीय प्रशासनिक
सेवा के अधिकारी संजीव भट्ट को को मोदी सरकार के विरुद्ध बोलने के कारण जेल में बन्द
कर दिया गया है। समाचार के अनुसार पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टिस (पीयुसीएल) कार्यकर्त्ता
गौतम ठाकुर ने बताया कि कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है जिसके तहत् लोगों को
सरकार की अक्षमता के विरुद्ध संगठित किया जायेगा। ‘सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस’ की
तीस्ता सेतालवाद ने इस बात की जानकारी दी है कि वे दंगा पीड़ितों का समर्थन और मोदी सरकार
की दमनात्मक कारवाइयों का विरोध करती हैं। इस सभा में उपस्थित संत जेवियर कॉलेज के
विद्यार्थियों ने भी मोदी सरकार के विरुद्ध किसी भी आंदोलन के प्रति अपनी कटिबद्धता दिखलायी।