भोपाल, 8 अक्तूबर, 2011 (कैथन्यूज़) आदिवासियों के उत्थान के लिये बनी संगठन जेस्विट
मिनिस्टरी ने मध्यप्रदेश के भोपाल में अखिल भारतीय दो दिवसीय आदिवासी सेमिनार में इस
संकल्प को दुहराया कि वे शोषण करने वाले तत्वों और आदिवासी अस्मिता के लिये खतरे पैदा
करने वाली ताकतों का मुकाबला एकजुट होकर करेंगे।
इंडियन सोशल इंस्टीट्यूट के
ट्राइबल यूनिट के संयोजक डॉं. फादर मरियानुस कुजूर ने कहा, " विकास योजनाओं के कारण
आदिवासियों को अस्तित्व को खतरा हो गया है ये योजनायें उन्हें जल, जंगल, ज़मीन और प्राकृतिक
श्रोतों से बेदख़ल करने का खतरा पैदा कर रही है। "
उराँव आदिवासी डॉ. कुजूर
ने कहा, " आदिवासियों के बीच एकजुट होकर शोषण के ख़िलाफ लड़ने की कमी ने उन्हें विकास
की धारा से दरकिनार और बेदख़ल कर दिया है। " उन्होंने लोगों से अपील की, " वे एकजुट हों
और अपनी संस्कृति, भाषा, परंपरा मूल्यों और जीवन की रक्षा के लिये सामने आयें।ऍ1
उन्होंने पूरे भारत से आये 250 आदिवासी प्रतिनिधियों को आगाह किया कि यदि आदिवासी
एकजूट कर कार्य नहीं करेंगे तो वे न केवल अपने प्राकृतिक श्रोतों से बेदख़ल कर दिये जायेंगे
पर उनकी पहचान ही मिट जायेगी।
डॉ. कुजूर ने कहा आदिवासी अपने समुदाय के छोटे
दायरे से ऊपर उठें और आदिवासी हित के लिये योगदान दें।
छत्तीसगढ़ के आदिवासी
शोध संस्थान के निदेशक डॉ. फादर अगापित तिर्की ने कहा, " आज ज़रूरत है आदिवासी राजनीतिक
रूप से सक्रिय हों और आदिवासी मुद्दों को विभिन्न नागरिक एवं सामाजिक मंचों पर उठायें।
समय आ गया जब आदिवासी राजनीति में प्रभावपूर्ण भूमिका अदा करे।"
सेमिनार में
उपस्थित सभी प्रतिनिधियों ने इस बात पर सहमति दिखलायी कि वे आदिवासी हित के लिये सामाजिक,
आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर एक साथ मिलकर कार्य करेंगे।