विश्वास और विवेक के संबंध में संत पापा की दुर्लभ अंतर्दृष्टि
रोम, 3 अक्तूबर, 2011 (ज़ेनित) वाटिकन प्रेस कार्यालय के निदेशक फादर फेदेरिको लोमबारदी
ने कहा कि जर्मनी में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने विश्वास और विवेक के संबंध में दुर्लभ
अंतर्दृष्टि प्रस्तुत की।
उक्त बातें फादर लोमबारदी ने उस समय कहीं जब उन्होंने
वाटिकन टेलेविज़न के साप्ताहिक कार्यक्रम " ऑक्तावा दियेस " में जर्मनी के फ्रायबुर्ग
के धर्मबंधुओं को संत पापा द्वारा दिये संदेश पर एक चिन्तन प्रस्तुत किया।
उन्होंने
कहा कि संत पापा की अनेक मूल्यवान बातों में से हमें इस बात को याद करना चाहिये कि "हमारी
दुनिया बुद्धिवादी और वैज्ञानिक है और कभी-कभी कृत्रिम वैज्ञानिक भी है।"
उन्होंने
कहा कि ऍ1 इस प्रकार का वैज्ञानिक स्वभाव, समझने-समझाने की मनोभाव और अविवेक को नकारना
आदि आज के समाज पर हावी है। यह समाज का अच्छा पहलु है हालांकि इसमें अहंकार और निरर्थक
बातें भी छिपी हुई हैं।"
धर्मबंधुओं को संबोधित करते हुए संत पापा ने इस बात
की पुष्टि की कि " विश्वास की दुनिया, भावना के समानन्तर नहीं है जिस पर हम भरोसा कर
सकते हैं।"
" यह एक ऐसा मूलमंत्र है जिसमें सबकुछ शामिल है जो सबकुछ को अर्थ
देता, व्याख्या करता और आंतरिक नैतिक दिशा प्रदान करता है; यह इस बात को स्पष्ट करता
है विश्वास को ऐसा समझा जाना चाहिये कि यह ईश्वर की ओर से ही आता और उसी की ओर ले चलता
है। लोगों को अपने विश्वास के अनुसार जीवन जीना चाहिये।"
संत पापा ने कहा था
" यह निश्चित है कि बीस साल के बाद कुछ और ही दर्शनशास्त्रीय सिद्धांत बनेंगे जो और अधिक
प्रभावपूर्ण लगेंगे। ऐसे भी दिन आयेंगे जब आज के उत्तम कहे जानेवाले सिद्धांतों को लोग
बिल्कुल भूल जायेंगे, फिर भी आज की अच्छी बातों को सीखना व्यर्थ नहीं है क्योंकि इनमें
निश्चिय ही कुछ अंतर्दृष्टि छिपी है।"
उन्होंने कहा, " इसी प्रकार हम इस बात
को सीखते हैं कि किस तरह से एक विचार के द्वारा हम चिन्तन करना सीखते हैं और इसे हम बारीकी
से करते है ताकि इससे हममें ईश्वरीय रोशनी प्रज्वल्लित हो और हमारा जीवनदीप न बुझे। "
संत पापा ने कहा, " अध्ययन आवश्यक है। अध्ययन के द्वारा ही हम दृढ़ होते हैं
और उसी में हम विश्वास के कारणों की घोषणा करते हैं।यह भी ज़रूरी है कि हम आलोचनात्मक
तरीके से अध्ययन करें क्योंकि भविष्य में कुछ अन्य लोग इस पर अपनी टिप्पणियाँ करेंगे।
इसलिये जब हम अध्ययन करते हैं तो हम सचेत रहें, खुले और नम्र रहें ताकि हमारा अध्ययन
सदा ईश्वर के साथ, ईश्वर के सामने और ईश्वर के लिये हो।"
फादर लोमबारदी ने
कहा कि " हमें मालूम है कि विश्वास और विवेक के संबंध को बतलाना संत पापा के कार्यकाल
की विशेषता रही है पर जर्मनी में जिस तरह से उन्होंने इसकी व्याख्या की है वह अपूर्व
है।