तेहरान , 3 अक्तूबर, 2011 (एशियान्यूज़) तेहरान के राश्त स्थित अदालत ने एक एवानजेलिकल
पास्टर युसेफ नदारखानी को उसके कथित " राष्ट्रद्रोह " और " राष्ट्रीय सुरक्षा के ख़िलाफ
" किये गये अपराधों के लिये फाँसी की सजा सुनायी है।
गवर्नर जेनेरल घोलम एली
रेज़वानी ने इस सजा की घोषणा फार्स एजेन्सी के द्वारा करते हुए कहा कि "यह धार्मिक मुद्दा
नहीं है क्योंकि हमारे नियम में कोई भी व्यक्ति अपने विश्वास के परिवर्तन के कारण सजा
नहीं पा सकता है। "
इसकी प्रतिक्रिया में पास्टर युसेफ के वकील मुहम्मद अली दादखान
ने कहा है कि गवर्नर की वे बातें अस्वीकार्य है क्योंकि दुनिया जानती है कि युसेफ को
" स्वधर्मत्याग " के लिये ही सजा दी गयी।
बचाव पक्ष के वकील अली दादखान का कहना
है कि " ऐसा पहली बार हुआ है जब अधिकारियों ने " राष्ट्रीय सुरक्षा के ख़िलाफ़ अपराध
" की चर्चा की है बहस के दौरान कभी ऐसी बातें नहीं की गयीं। नये आरोपों पर उन्हें पुनःविचार
किये जाने की ज़रूरत है।"
32 वर्षीय युसेफ नदारखानी 19 वर्ष की आयु में ईसाई
धर्म स्वीकार किया था और एवानजेलिकल चर्च के चर्च ऑफ ईरान में एक पास्टर के रूप में
कार्य करता था। अक्तूबर सन् 2009 में उसे शरिया कानुन के तहत् स्वधर्मत्याग के लिये फांसी
की सजा सुनायी।
शरिया कानुन में इस बात का प्रावधान है कि यदि व्यक्ति धर्म में
वापस आ जाता है तो उसकी सज़ा माफ़ कर दी जाती है।
जुलाई 2010 में इसकी अपील भी
की गयी पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को पास्टर नादारखान के अपने शहर राश्त में लौटा
दिया जिसने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। कई पश्चिमी देशों जैसे - अमेरिका
ग्रेट ब्रिटेन जर्मनी, फ्रांस और पौलैंड ने इस सज़ा की भर्त्षणा की है और नादारखान के
तुरन्त रिहाई की याचना की है।