2011-10-03 17:15:19

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश


रोम 2 अक्तूबर 2011 (ज़ेनित) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 2 अक्तूबर को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने रविवारीय परम्परा के अनुसार देवदूत संदेश प्रार्थना के पाठ से पूर्व इताली भाषा में तीर्थयात्रियों को सम्बोधित करते हुए कहाः

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
इस रविवार के सुसमाचार पाठ का समापन येसु द्वारा दी गयी चेतावनी से होता है जो महापुरोहितों और जननेताओं के लिए विशिष्ट रूप से सम्बोधित है। " ईश्वर का राज्य तुमसे ले लिया जायेगा और उनलोगों को दिया जायेगा जो कि फल उत्पन्न करेंगे " ये वे शब्द हैं जो हमें उन लोगों पर विचार कराता है जिन पर महान उत्तरदायित्व है, हर युग में प्रभु की दाखबारी में काम करने के लिए जिनका आह्वान किया जाता है, विशेष रूप से प्राधिकार की भूमिका में हैं, और ये हमें ख्रीस्त के प्रति पूर्ण निष्ठा की ओर बढ़ाते हैं। ख्रीस्त वह पत्थर हैं जिसे कारीगरों ने बेकार समझकर निकाल दिया था क्योंकि महापुरोहित और फरीसी उन्हें संहिता के दुश्मन तथा सार्वजनिक जीवन के लिए ख़तरा समझते थे। लेकिन बहिष्कृत और क्रूसित ख्रीस्त स्वयं जी उठे हैं, कोने का पत्थर बन गये हैं जिनपर हर मानव तथा सम्पूर्ण मानवजाति का अस्तित्व पूरी सुरक्षा के साथ आधारित रह सकता है।

हिंसक असामियों का दृष्टान्त जिसमें भूमिधर ने दाख की बारी को असामियों को दिया ताकि वे फल उत्पन्न करें इस सत्य के बारे में कहता है। दाखबारी का मालिक ईश्वर का प्रतिनिधित्व करता है जबकि दाखबारी प्रतीक है ईश प्रजा के साथ ही साथ जीवन का जिसे उन्होंने हमें दिया है तकि हम अपने समर्पण और उनकी कृपा द्वारा भलाई करें। संत अगुस्तीन कहते हैं- ईश्वर हम पर भूमि के समान ही कृषि काम करते हैं ताकि हमें बेहतर बना सकें।

संत पापा ने आगे कहा- अपने मित्रों के लिए ईश्वर की योजना है लेकिन दुर्भाग्य से मनुष्य का जवाब बहुधा विश्वासघात की ओर उन्मुख होता है जो अस्वीकृति में बदलता है। घमंड और अहंकार यहाँ तक कि ईश्वर के सबसे कीमती उपहार उनके एकलौते पुत्र को स्वीकार करने और पहचान देने के पथ में बाधा खड़ी करता है। सुसमाचार लेखक संत मत्ती लिखते हैं- असामियों ने उसे पकड़ लिया और दाखबारी से बाहर निकाल कर मार डाला। ईश्वर स्वयं को हमारे हाथों में देते हैं, वे स्वयं को कमजोरी के गूढ़ रहस्य के रूप में होने की अनुमति देते हैं तथा अपनी सार्वभौमिकता का प्रदर्शन प्यार की योजना के प्रति निष्ठा द्वारा करते हैं जो कि अंत में दुष्टों के लिए भी सज़ा दिये जाने को देखता है।

विश्वास में सुदृढ़ आधार लिये कोने का पत्थर जो ख्रीस्त हैं हम उनमें संयुक्त रहते हैं उस शाखा के समान जो अपने आप से फल उत्पन्न नहीं कर सकता है यदि यह दाखलता से जुड़ा नहीं रहता है। केवल उन्हीं में, उन्हीं के द्वारा और उन्हीं के साथ कलीसिया है, नये विधान के लोग बनाये गये हैं। इस अर्थ में प्रभु सेवक संत पापा पौल षष्टम लिखते हैं- पहला लाभ जिसे हम भरोसा करते हैं कि कलीसिया गहन आत्म जागरूकता के कारण प्राप्त करेगी वह है- ख्रीस्त के साथ अपने संयुक्त होने के बंधन की नवीकृत पुर्नखोज। यह कुछ ऐसा है जो कि विख्यात है लेकिन यह सर्वोच्च रूप से महत्वपूर्ण और अपरिहार्य है। इसके बारे में पर्याप्त रूप से न तो समझा जा सकता है और न ही मनन चिंतन तथा प्रवचन किया जा सकता है।

प्रिय मित्रो, प्रभु हमेशा निकट हैं और मानव इतिहास में क्रियाशील हैं । अपने दूतों की अनूठी उपस्थिति द्वारा हमेशा हमारा साथ देते हैं, कलीसिया जिनका अभिभावक या रक्षक के रूप में सम्मान करती है। अर्थात् हर व्यक्ति के लिए दिव्य परवाह के सेवक। शुरू से लेकर मृत्यु की घड़ी तक मानव जीवन हर पल उनकी सतत सुरक्षा में घिरा है। दूत, रोजरी माला की धन्य कुँवारी मरिया, सब जीतों की रानी के मुकुट हैं, वे अक्तूबर माह के पहले रविवार में इस क्षण, पोम्पेई और सम्पूर्ण विश्व के तीर्थालयों से प्रार्थना मनोरथों को ग्रहण करती हैं ताकि बुराई की पराजय हो और ईश्वर की भलाई अपनी सम्पूर्णता में प्रकट हो।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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