2011-10-03 20:14:56

कार्डिनल का अनादर पूरी कलीसिया का अनादर


लीमा, पेरु, 3 सितंबर, 2011 (सीएनए) पेरु के एक पत्रकार दानिएल ब्राउसेक ने कहा है कि " लीमा के कार्डिनल लुईस चिपरियानी का अनादर पूरी कलीसिया के अनादर है।"
विदित हो कि विगत 23 सितंबर को परमधर्मपीठीय कैथोलिक युनिवर्सिटी में युनिवर्सिटी की महासभा ने वाटिकन की उस सलाह को नकार दिया जिसमें वाटिकन ने कैथोलिक युनिवर्सिटियों के लिये बनाये गये प्रेरितिक संविधान " एक्स कोरदे एकलेसेआय " के अनुसार युनिवर्सिटी के अधिनियम में सुधार लाने का आग्रह किया गया था।
पत्रकार दानिएल ने धर्माध्यक्षों,पुरोहितों और आम काथलिक जनता से यह प्रश्न पूछा है कि जब एक धर्मगुरु पर आक्रमण होता है तो वे क्या करते हैं, क्या वे प्रार्थना करते, व्यंग्यात्मक मुस्कान फेरते या फिर तटस्थ बने रहते हैं?
उन्होंने उनसे यह भी कहा है कि क्या धर्मगुरु को अपने फोन या ईमेल से सहानुभूति दिखलाते या बस यूँ ही चुप रह जाते हैं? उन्होंने से इस बात का चिन्तन करने कहा कि " क्या वे इस बात को समझते हैं कि एक धर्मगुरु का अपमान पूरी काथलिक कलीसिया का अवहेलना है? "
ज्ञात हो कि हाल में लीमा के कार्डिनल हुवान लुईस को एक काथलिक युनिवर्सिटी के रेक्टर मारशियल रूबियो, कुछ प्रोफेसर, छात्र, कुछ वामपंथी, अज्ञेयवादी और नास्तिकों ने निशाना बनाया था और उसके नाम पर कीचड़ उछालने का प्रयास किया था।
पत्रकार ब्रावसेक का कहना है कि ऐसे लोग अपने को काथलिक होने का दावा तो करते हैं पर इस बात के लिये खुशियाँ मना रहे हैं कि एक काथलिक युनिवर्सिटी सापेक्षवाद का शिकार हो गया है। ऐसे ही लोग संत पापा द्वारा प्रेषित सलाह का अनादर करते हैं।
ब्रावसेक ने कहा कि " सच्चे काथलिकों को इस बात को समझना चाहिये कि पुरोहितों धर्माध्यक्षों, कार्डिनलों और संत पापा को सम्मान देने का मतलब क्या होता है। उन्हें इस बात को समझना चाहिये कि धर्मसमाजियों ने ईश्वर की सेवा के लिये अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया है और दुनिया को मुक्ति के मार्ग में ले चलने को प्रयासरत हैं।"
पत्रकार ने लोगों से कहा है कि वे लोग अपने धर्मगुरुओँ की रक्षा मे सामने आयें और उन्हें बचायें। अगर काथलिक कलीसिया सिर्फ एक दो प्रेस विज्ञप्ति देकर संतुष्ट है तो यह उचित नहीं है।
















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