बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा
का संदेश 28 सिंतबर, 2011
रोम, 28 सितंबर, 2011 (सेदोक, वीआर) जर्मनी के राष्ट्रपति के आमंत्रण पर अपने मातृभूमि
जर्मनी की आधिकारिक यात्रा के बाद बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें
ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न
भाषाओं में सम्बोधित किया।
मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनों, पिछले सप्ताह मैंने
अपने देश जर्मनी क प्रेरितिक यात्रा के दौरान बर्लिन, एरफुर्त, एइचेसफेल्ड और फ्रायबुर्ग
शहर गया। मेरी यात्रा की विषवस्तु थी - ‘जहाँ ईश्वर वहाँ भविष्य’ जिसने लोगों को इस बात
की याद दिलाया कि ईश्वर ही हमारे जीवन को सही अर्थ प्रदान करते हैं।
ईश्वर ही
सभी अच्छाइयों के श्रोत हैं और ईश्वर ही दुनिया को स्वतंत्र. प्रगतिशील और न्यायपूर्ण
समाज बनाने के हमारे प्रयास को सदा शक्ति प्रदान करते हैं।
बर्लिन में मुझे जर्मन
पार्लियोमेंट को संबोधित करने का अवसर मिला जब कि एरफुर्त शहर - मैंने एवान्जेलिक कलीसिया
के कौंसिल सदस्यों के साथ ख्रीस्तीय एकता के लिये प्रार्थना की। यह वही शहर है जहाँ से
मार्टिन लूथर ने अपनी जीवन यात्रा आरंभ की थी।
एइजेल्बक में सांध्य प्रार्थना
और एरफुर्त के मिस्सा पूजा में मैंने विश्वास की दृढ़ परंपरा और इस क्षेत्र में दिये
गये ख्रीस्तीय साक्ष्य की याद की। मैंने वहाँ के लोगों से निवेदन किया कि वे अपनी पवित्रता
को सुरक्षित रखें और समाज के नवीनीकरण के लिये कार्य करें।
अपनी यात्रा के अंतिम
दिन मैंने फ्रायबुर्ग के यूखरिस्तीय समारोह में अनेकों युवाओं से मिला जिनका येसु पर
दृढ़ विश्वास जर्मनी की कलीसिया और देश के भविष्य के लिये एक बड़ी आशा की बात है।
इतना
कह कर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया। उन्होंने इंगलैंड, नॉर्वे स्वीडेन, केन्या.
दक्षिणी अफ्रीका, समोआ, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, वेनेरेबल इंगलिश
कॉलेज और परमधर्मपीठीय आइरिस कॉलेज के विद्यार्थियों, विशेषकर के दक्षिण कोरिया के गायकदल
और उपस्थित लोगों तथा तीर्थयात्रियों पर आनन्द और शांति की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक
आशीर्वाद दिया।