2011-09-28 12:20:07

केरलः अल्पसंख्यकों ने किया जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का विरोध


केरल, 28 सितम्बर सन् 2011 (कैथन्यूज़): केरल के ख्रीस्तीय एवं इस्लाम धर्मानुयायियों ने उस प्रस्तावित कानून की कड़ी निन्दा की है जिसके तहत केरल में जनसंख्या पर नियंत्रण लगाने हेतु दो बच्चों से अधिक सन्तान होने पर 10,000 रुपये अर्थदण्ड अथवा तीन माहों की क़ैद हो सकती है।

सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति वी. आर. कृष्णा अय्यर के नेतृत्व में गठित समिति द्वारा प्रस्तावित कानून "केरल महिला संहिता विधेयक", का प्रारूप तैयार किया गया है जिसमें यह भी प्रस्ताव है कि दो बच्चों वाले नियम का उल्लंघन करनेवाले दम्पत्तियों को सामाजिक सुविधाओं से वंचित रखा जाये। इसके अतिरिक्त एक और सम्भावित खण्डवाक्य धार्मिक एवं राजनैतिक संगठनों द्वारा परिवार नियोजन को हतोत्साहित करने पर रोक लगा सकता है।

केरल के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने प्रस्तावित कानून के प्रारूप को "प्रजातंत्रवाद विरोधी तथा माता पिता के अधिकारों का हनन निरूपित किया है।"

ग़ौरतलब है कि पहली बार भारत के किसी राज्य विशेष ने विशाल परिवारों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई का प्रस्ताव रखा है। केरल की तीन करोड़ 33 लाख की आबादी भारत के कुल आबादी का चार प्रतिशत से भी कम है।

केरल काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के प्रवक्ता फादर स्टीवन आलाथारा ने सोमवार को पत्रकारों से कहा कि प्रारूप पारिवारिक मूल्यों को दुर्बल बनाने तथा समाज को साम्प्रदायिक गुटों में विभाजित करने का भद्दा प्रयास है। केरल के सिरोमलाबार चर्च, जैकोबाईट चर्च तथा ऑरथोडोक्स चर्च ने भी प्रस्तावित विधेयक की कड़ी निन्दा की है। कोट्टायम में ऑरथोडोक्स कलीसिया के धर्माधिपति बासेलियुस मार थोमा पौल द्वितीय ने चेतावनी दी है कि यदि विधेयक पारित हुआ तो सरकार को घोर परिणाम भुगतने होंगे।

केरल के मुसलमान संगठन भी विधेयक से रुष्ट हैं। सुन्नी युवा संघ के अबदुल समद ने कहा कि वे विधेयक का विरोध करेंगे क्योंकि यह धर्म एवं विश्वास की स्वतंत्रता को कुण्ठित करता है।

इस बीच, केरल के मुख्यमंत्री ओमन चाण्डी ने कहा कि विधेयक पर रोष निर्थक है क्योंकि सभी दलों से सलाह मशवरा के बाद ही विधेयक पारित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि विधेयक पर हो रहे विरोधों से वे परिचित हैं।








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